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Sant kabir nagar जियो टैगिंग से जुड़े जनपद के 70 प्रतिशत क्षय रोगी



जियो टैगिंग से जरूरत पर आसानी से मरीज के घर पहुँच सकेगी टीम
रोगी की देखभाल में होगी सुविधा, 31 जुलाई तक हो जाएगी सभी की टैगिंग
आलोक कुमार बर्नवाल
संतकबीरनगर। देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने के संकल्प को पूरा करने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं । इसी क्रम में जिले में कोरोना काल में भी टीबी मरीजों की तलाश जारी है। अब विभाग ने टीबी मरीजों की जियो टैगिंग शुरू की है। इसके तहत कर्मचारी टीबी मरीजों के घर जाकर उनकी लोकेशन निक्षय पोर्टल पर दर्ज कर रहे हैं। जनपद में अभी तक 70 प्रतिशत क्षय रोगियों की जियो टैगिंग की जा चुकी है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एस डी ओझा ने बताया कि जनपद में 1100 क्षय रोगी हैं। इन क्षय रोगियों के इलाज के लिए निरन्तर विशेषज्ञों की टीम आती रहती है। किसी भी क्षय रोगी के हालात जानने के लिए टीम के साथ स्थानीय डाट्स प्रोवाइडर को लगाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम के साथ ही अन्य टीम सीधे मरीजों के पास पहुंच सके और उसके बारे में जानकारी प्राप्त करके उसके इलाज का उचित प्रबन्ध किया जा सके, इसके लिए मरीजों की जियो टैगिंग का काम चल रहा है। 31 जुलाई तक जनपद के सारे क्षय रोगियों की जियो टैगिंग कर ली जाएगी।

5200 रोगियों की हो रही जियो टैगिंग

जनपद में वर्ष 2019 से लेकर वर्तमान तक के क्षय रोगियों की जियो टैगिंग की जा रही है। इसमें 2019 के 2200 मरीज, 2020 के 1800 मरीज तथा 2021 के 1200 मरीज शामिल हैं। इनमें वे मरीज भी शामिल हैं जो इलाज के दौरान ठीक हो चुके हैं।

क्या है जियो टैगिंग

जियो टैगिंग ऐसी भौगोलिक जानकारी है जो फोटो, नक्शे और वीडियो के माध्यम से दर्शाई जाती है। इसका डाटा मरीज के संपर्क में रहने में मददगार साबित होता है। इनमें अन्य जानकारियों में जगह का नाम और क्षेत्र ही नहीं, बल्कि समुद्र तल से उसकी ऊंचाई और दूरी भी शामिल होती है। स्वास्थ्य कर्मी क्षय रोगियों की संपूर्ण जानकारी एकत्र करके उसे साफ्टवेयर पर अपलोड कर देंगे, जिसमें क्षय रोगी के घर का पता भी दर्ज होगा। इस साफ्टवेयर के द्वारा अधिकारियों को उपचार की जानकारी भी मिलती रहेगी। जिस क्षेत्र में अधिक क्षय रोगी होंगे। उसमें जांच का दायरा भी बढ़ाया जाएगा और लोगों को क्षय रोग के बारे में जागरूक भी किया जाएगा।

आरोग्य साथी एप होगा कारगर

क्षय रोग कार्यक्रम के जिला समन्वयक अमित आनन्द बताते हैं कि मरीजों के लिए आरोग्य साथी एप विकसित किया गया है। यह एक ऐसा प्लेटफार्म होगा जिस पर टीबी से जुड़ी हर जानकारी प्राप्त होगी। टीबी का मरीज यूजर आईडी का प्रयोग कर इस एप का प्रयोग सकेंगे। यही नहीं इसके जरिए क्षय रोगी अपने इलाज से लेकर निक्षय पोषण योजना के तहत सरकार से मिलने वाली धनराशि की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, जो भी पंजीकृत रोगी होंगे उनके लिए यह एप एक पोर्टल की तरह कार्य करेगा। यही नहीं टीबी परीक्षण, उपचार विवरण, विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं के तहत देय राशि का विवरण, स्वास्थ्य प्रदाता तक पहुंचने और उपचार या किसी भी जानकारी के लिए अनुरोध भी एप पर किया जा सकता है। टीबी की जांच, उपचार की नजदीकी सुविधा, बीमारी के जोखिम का आंकलन करने के लिए स्क्रीनिग टूल, पोषण संबंधी सहायता और परामर्श भी प्राप्त किया जा सकता है। आरोग्य साथी एप के माध्यम से टीबी संबधी सवाल पूछे जा सकते हैं, जिनमें टीबी के लक्षण, रोग के प्रभाव, मरीजों के लिए सही पोषण आदि की जानकारी प्राप्त किया जा सकेगा।

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