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प्रतापगढ़:हिंदी मेरी पहचान है हिंदी मेरा सम्मान है:दयाशंकर शुक्ल

एस के शुक्ला

प्रतापगढ़। जनपद हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वाधान में हिंदी दिवस पर नगर क्षेत्र के सदर बाजार स्थित त्रिपाठी निकेतन पर जनपद हिंदी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री समाजसेवी कई विद्यालयों के प्रबंधक अनिल प्रताप त्रिपाठी प्रवात के संयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ० संगम लाल तिवारी भंवर की अध्यक्षता में  मनाया गया।


सर्वप्रथम मां सरस्वती जी के चित्र पर एवं जनपद हिंदी साहित्य सम्मेलन के संस्थापक स्वर्गीय साहित्य महारथी डॉ० राजेश्वर सहाय त्रिपाठी के चित्र पर अतिथियों द्वारा माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई। दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित संचेतना साहित्यिक संस्था के संस्थापक वरिष्ठ साहित्यकार दयाशंकर शुक्ल हेम ने कहा कि हिंदी हमारे देश की पहचान है हिंदी हमारे देशवासियों का सम्मान है और हिंदी भारतीयों का संस्कार बन चुकी है।

उन्होंने कहा कि हिंदी राजभाषा जरूर है परंतु हिंदी राष्ट्रभाषा अभी नहीं बन पाई है, हिंदी राष्ट्रभाषा बने इस ओर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित पूर्व जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी एवं वकील परिषद के पूर्व अध्यक्ष राधे कृष्ण त्रिपाठी ने कहा कि राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए देश में भारत माता के प्रति जागरूकता के लिए हिंदी पर विशेष दिन जोर देने की आवश्यकता है ताकि हिंदी का विकास देश के कोने कोने में किया जा सके। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ० संगम लाल तिवारी भंवर जी ने कहा कि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा के माध्यम से हिंदी को राजभाषा प्रदान करने के लिए सहमति बनी और आज हिंदी देश ही नहीं विश्व के कई देशों में हिंदी बोली जाती है और विशेष तौर पर हमारे हिंदुस्तान की पहचान है हिंदी इसलिए हिंदी का उत्तरोत्तर विकास हो इस और सभी को ध्यान देने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में कई साहित्यकारों एवं मनीषियों का सम्मान भी किया गया सम्मान के क्रम में डॉ० मिथिलेश त्रिपाठी ,डॉ० कैलाश नाथ पांडेय ,कवयित्री प्रीति अनिल पांडेय ,कवयित्री सपना अमित तिवारी, कवयित्री अर्चना सिंह , एवं शिवजी पांडेय शिवम का भी साहित्यिक गतिविधियों में किए जा रहे हिन्दी में योगदान के लिए कार्यक्रम के आयोजक महामंत्री हिंदी साहित्य सम्मेलन अनिल प्रताप त्रिपाठी  प्रवात द्वारा किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन युवा साहित्यकार रविंद्र अजनबी ने किया। कार्यक्रम को राज मूर्ति सिंह ,डॉ० मिथिलेश  त्रिपाठी ,इं० चंद्रकांत त्रिपाठी, गजेंद्र सिंह विकट ,अरुण प्रताप त्रिपाठी, विजय प्रताप त्रिपाठी ,ओम प्रकाश त्रिपाठी डॉ० कमलेश शुक्ला डीआईजी स्टांप, सुरेश नारायण दुबे व्योम विनय कुमार शुक्ला ,सचिन मिश्रा सागर, अखिल नारायण सिंह, शेष नारायण दुबे राही राजेश मिश्रा ,संजय द्विवेदी, श्याम शंकर द्विवेदी ,डॉ० अमित पांडेय ,जय प्रकाश उपाध्याय आदि साहित्यकारों एवं हिंदी के मनीषियों ने अपने अपने विचार रखे। आए हुए अतिथियों के प्रति आभार शिक्षाविद एवं समाजसेवी अंकित त्रिपाठी ने किया।

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