2022 में सदर सीट पर बीजेपी के लिए आसान नहीं है जीत की राह
ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। जिले की सातों विधानसभा सीटों पर 2017 में बीजेपी ने कब्जा कर इतिहास रचा था।
कैसरगंज के बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह के पुत्र प्रतीक भूषण सिंह ने 58 हजार से अधिक वोट हासिल कर बसपा के मोहम्मद जलील खां को पराजित किया था।
उस चुनाव में सपा प्रत्याशी सूरज सिंह 41 हजार मत प्राप्त कर तीसरे स्थान पर थे। हालांकि इस बार हालात बिल्कुल जुदा हैं। सदर सीट पर अबकी बीजेपी के लिए इतिहास दोहराना आसान नहीं होगा।
यह बात दीगर है कि सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने बेटे के चुनाव की बागडोर स्वयं संभाल ली है। इस लिहाज से अब प्रतीक की जीत उनकी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।
जिले की सदर सीट प्रतिष्ठापूर्ण मानी जाती रही है। यहां एक खास बात यह है कि जनता ने लगातार किसी को प्रतिनिधित्व का मौका नहीं दिया है।
गोण्डा सदर सीट-296 से भाजपा से कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह के पुत्र प्रतीक भूषण सिंह पहली बार 2017 में चुनाव जीतकर सबसे कम उम्र के विधायक चुने गए।
2022 के चुनाव में वह फिर भाजपा से मैदान में हैं। उनका दावा है कि उन्होंने पांच साल के अपने कार्यकाल में जनता से किए गए सभी वादों को पूरा किया है।
जोर देकर कहते हैं कि उन्होंने जिले को सबसे गंदे शहरों की लिस्ट से बाहर लाकर टॉप-3 शहरों तक पहुंचाने का काम किया है।
गोण्डा सदर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने लगभग हर पार्टी को सेवा करने का मौका दिया है। इसके चलते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के रघुराज उपाध्याय ने 1980,1985 और 1989 का चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई थी।
यहां से कांग्रेस के टिकट पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ईश्वर शरण 1962 और 1967, जनसंघ के टिकट पर बाबू त्रिवेणी सहाय 1968 व 1974, जनता पार्टी के टिकट पर फजलुल बारी उर्फ बन्ने भाई 1977, भाजपा के टिकट पर तुलसीदास राय चंदानी 1991 और 1993, सपा के टिकट पर विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह 1996, 2002 और 2012, बसपा के टिकट पर मोहम्मद जलील खां 2007 के चुनाव में निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे, जबकि साल 2017 में भाजपा का कमल खिला और प्रतीक भूषण सिंह विजयी हुए।
लेकिन अब यह देखने वाली बात होगी कि 2022 के रण में किसकी फतह होगी? इस चुनाव में गन्ना भुगतान से लेकर छुट्टा पशुओं का आतंक जहां जनता की सबसे बड़ी समस्या है, वहीं पांच साल के अपने कार्यकाल में सदर विधायक प्रतीक भूषण का लोगों से न मिलना, उनके सुख-दुख में शामिल न होना, लोगों के फोन न उठाना जैसी बातें भी विपक्षियों के लिए बड़ा मुद्दा हैं, जिसे मतदाताओं के बीच में पुरजोर तरीके से उठाकर वे इसे वोट के रूप में भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।
2017 के मोदी लहर में गोण्डा की सातों विधानसभा सीटों पर भाजपा की प्रचण्ड जीत हुई थी। गोण्डा की सदर विधानसभा सीट-296 से वर्तमान विधायक प्रतीक भूषण सिंह ने 58254 वोट प्राप्त कर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के जलील खां को करीब 11 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था।
जलील खां 46576 वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर थे, जबकि पूर्व कृषि मंत्री स्व. विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह के भतीजे सपा प्रत्याशी सूरज सिंह 41477 मत प्राप्त करके तीसरे स्थान पर थे।
2017 में प्रतीक यहां से सबसे कम उम्र के विधायक भी बन गए थे। विधानसभा चुनाव 2022 की बात करें तो भाजपा से प्रतीक भूषण सिंह फिर से चुनाव मैदान में हैं।
सपा से पूर्व मंत्री पंडित सिंह के भतीजे सूरज सिंह दोबारा किस्मत आजमा रहे हैं जबकि बसपा से पूर्व विधायक स्व. जलील खां के करीबी हाजी मोहम्मद जकी चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर रमा कश्यप को प्रत्याशी बनाया है।
वहीं आम आदमी पार्टी ने यहां से ब्राह्मण कार्ड खेला है। पार्टी ने सुधांशु मिश्रा को अपना प्रत्याशी बनाया है।
सबसे खास बात यह है कि इस चुनाव में बेटे प्रतीक को जिताने की कमान बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने खुद संभाल ली है।
बताया जाता है कि ऐसा तब हुआ है, जब विधायक को लेकर जगह-जगह विरोध के स्वर सुनाई दिए।
गांवों में विधायक के पहुंचने पर लोग तितर बितर हुए तो बात बृजभूषण सिंह के कानों तक पहुंची, जिसके बाद वे खुद जनता की नब्ज टटोलने निकले और जमीनी हकीकत से रूबरू होने के बाद उन्होंने स्वयं चुनाव की बागडोर संभाली है। ऐसे में अब सदर विधानसभा का चुनाव बाहुबली सांसद की प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।
कुल मतदाता
- कुल मतदाता - 340985
- पुरूष - 182973
- महिला - 157989
- ट्रांसजेंडर - 23
अनुमानित जातीय समीकरण (प्रतिशत में)
- मुस्लिम 21
- यादव 8
- ब्राह्मण 22
- कुर्मी 15
- क्षत्रिय 6
- दलित 14
- अन्य 13
ब्राह्मण, मुस्लिम और कुर्मी भारी
गोण्डा सदर विधानसभा क्षेत्र में जातिगत आंकड़ों की बात करें, तो यहां ब्राह्मण, मुस्लिम और कुर्मी जाति के लोगों का पलड़ा ज्यादा भारी है। इसके बाद नंबर आता है दलित वर्ग का। यादव यहां 8 प्रतिशत हैं और क्षत्रिय 6 फीसदी तथा अन्य में 13 परसेंट वोट हैं।
अब देखने वाली बात यह होगी कि यहां 2022 में किसका सिक्का जमेगा? यहां की जनता किसके सिर ताज बांधेगी?
क्या होंगे 2022 के चुनावी मुद्दे
गोण्डा की जनता की सबसे जरूरी मांग जिले में सीवर लाइन व नगर पालिका का क्षेत्र बढ़ाने की है, जिससे जिले का समुचित विकास हो सके। सड़क, बिजली, पानी व रोजगार भी अहम मुद्दे होंगे।
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