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UP ELECTION 2022 पट्टी में क्या बीजेपी के किले में 10 साल बाद फिर से सेंध लगा पाएगी सपा

वेद व्यास त्रिपाठी

प्रतापगढ़ के पट्टी विधानसभा का इतिहास आजादी के़ आंदोलन के शुरुआती दिनों की याद दिलाता है. 



यहीं से राजनीति का कहरा सीखकर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी राजनीति का श्री गणेश किया.


पट्टी विधानसभा में ब्राह्मण-कुर्मी मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक

 जवाहर लाल नेहरू ने 1920 में पट्टी में आंदोलन में हिस्सा लिया था2017 के चुनाव में राजेंद्र सिंह जीते, योगी सरकार में मंत्री बने.


उत्तर प्रदेश विधानसभा में पट्टी विधानसभा सीट (249) का अपना महत्व है और यह सीट प्रतापगढ़ जिले में पड़ती है. यह वही क्षेत्र है जहां पर करीब 100 साल पहले पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. 


पट्टी विधानसभा सीट पर 2002 से 2012 तक भारतीय जनता पार्टी का अभेद्य किला बना रहा लेकिन 2012 के चुनाव में डकैत ददुआ के भतीजे और सपा के पूर्व सांसद के बेटे राम सिंह ने भाजपा के किले में सेंध लगाते हुए राजेंद्र प्रताप उर्फ मोती सिंह को 157 वोटों के मामूली अंतर से हरा दिया था. हालांकि, 2017 के चुनाव में मोती सिंह फिर से काबिज हो गए.



पट्टी विधानसभा का इतिहास आजादी के आंदोलन के शुरुआती दिनों की याद दिलाता है. यहीं से राजनीति का कहरा सीखकर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी राजनीति का श्री गणेश किया. जब 1920 में पट्टी आए और किसान आंदोलन में हिस्सा लिया.


सामाजिक तानाबाना

जैसे बेल्हा क्षेत्र आंवले की खेती के लिए मशहूर माना जाता है उसी प्रकार से पट्टी विधानसभा किसान आंदोलन के गौरवशाली इतिहास से जुड़ा हुआ है. पट्टी तहसील से पूरब की दिशा में 4 किलोमीटर दूर स्थित शहीदी स्मारक रूर किसान आंदोलन की शहादत का जीवंत प्रतीक बना हुआ है।



पट्टी तहसील मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर है जोकि पड़ोसी जनपद जौनपुर से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहां पर अवधी भाषा बोली जाती हैं. मुंबई जाने के लिए प्रतापगढ़ से उद्योग नगरी और साकेत एक्सप्रेस चलाई जाती है.



पट्टी विधानसभा में ब्राह्मण और कुर्मी मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है तो वहीं यादव और क्षत्रिय बराबर की संख्या में हैं. 



राजनीतिक पृष्ठिभूमि

पट्टी विधानसभा को प्रतापगढ़ जनपद की एक हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है. विधानसभा सीट पड़ोसी जनपद जौनपुर सटा हुआ है, यहां पर हमेशा भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह का दबदबा रहा है. दूसरे दलों ने हमेशा यहां पर अपना असर दिखाने की कोशिश की लेकिन असफल रहे। 



हालांकि 2012 में पहली बार समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़  रहे राम सिंह पटेल ने यहां पर मामूली अंतर से राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह को शिकस्त दी थी, लेकिन 2017 के चुनाव में फिर से राजेंद्र प्रताप सिंह ने मामूली अंतर से जीत हासिल की. अब 2022 के चुनावी संग्राम में यहां पर समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच में चुनावी संग्राम होने की संभावना जताई जा रही है.



पट्टी विधानसभा सीट पर 2002 के नतीजे राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह के पक्ष में रहा. उन्होंने उस समय बहुजन समाजवादी पार्टी के मृत्युंजय शुक्ला को करारी शिकस्त दी थी. अपना दल के विजय सिंह तीसरे स्थान पर रहे जबकि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राम लखन चौथे स्थान पर खिसक गए.



भारतीय जनता पार्टी के राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ उर्फ मोती सिंह यहां से सबसे अधिक 4 बार विधायक रहे. 2007 में 15वीं विधानसभा में राजेंद्र प्रताप सिंह ने समाजवादी पार्टी के बाल कुमार पटेल को बेहद मामूली अंतर से हराया जबकि बीएसपी से चुनाव लड़ रहे कुंवर शक्ति सिंह तीसरे स्थान पर चले गए जबकि राष्ट्रीय लोकदल के चंद्रबली चौथे स्थान पर रहे हैं.



2012 में 16वीं विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के राम सिंह ने बीजेपी के राजेंद्र प्रताप सिंह को मामूली अंतर से शिकस्त दिया. बीएसपी की अर्चना देवी तीसरे स्थान पर रहीं जबकि कांग्रेस के अजीत प्रताप सिंह चौथे स्थान पर रहे. 2012 के चुनाव में कुल 190311 मत पड़े थे. विजयी प्रत्याशी राम सिंह पटेल को 61434 मत तथा उपविजेता भारतीय जनता पार्टी के राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह को 61278 मत मिले .



2017 का जनादेश

2017 का विधानसभा चुनाव बहुत ही रोमांचक रहा यहां पर भारतीय जनता पार्टी के राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह ने कुल 75011 मत प्राप्त किए जबकि राम सिंह को 73538 मत मिले. बहुजन समाजवादी पार्टी के कुंवर शक्ति सिंह को 46427 वोट मिले. निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल चौथे स्थान पर रहे जिसने 3025 मत प्राप्त किया.



रिपोर्ट कार्ड

वर्तमान में विधायक और कैबिनेट मंत्री बनकर पूरे प्रदेश में अपना नाम रोशन करने वाले राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह का जन्म 20 अक्टूबर 1954 को हुआ. वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं तथा योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं. 



राजेंद्र चार बार प्रतापगढ़ के पट्टी विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं. 1996 से 2000, 2,000 से 2,002, 2007 से 2012 तथा 2017 से 2022 तक उनका सफल करियर रहा है.  राजीव प्रताप सिंह उर्फ नंदन उनके इकलौते पुत्र हैं जो 2021 में मंगरौरा से निर्विरोध ब्लाक प्रमुख बनाया और इनकी तीन पुत्रियां हैं।



मोती सिंह के पिता का नाम भारत सिंह गांधी और मां का नाम कौशल्या देवी था. राजेंद्र प्रताप सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विज्ञान विषयों में स्नातक की डिग्री और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून एलएलबी की शिक्षा ग्रहण की उनका राजनीतिक करियर 1983 में शुरू हुआ और मंगरौरा से पहली बार ब्लॉक प्रमुख के रूप में निर्वाचित किए गए.

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