डॉ ओपी भारती
गोण्डा। एक आह भरी होगी, हमने न सुनी होगी जाते-जाते तुमने आवाज तो दी होगी। जगजीत सिंह की ये गजल वास्तव में गोंडा जिले के समयदीन यादव परिवार पर जैसे हू बहू गुजर रही हो।
बहादुरा के अहिरन पुरवा में बुधवार को न चूल्हा जला और न ही कोई कुछ खा रहा है। इस बीच कोल्हमपुरवा इमाम गांव के पास बाग से बहादुरा के शिव बहादुर यादल (30) के शव को देख बाकी के परिवारों का कलेजा मुंह को आ गया।
दीनानाथ, राम बहादुर, अशोक कुमार का भाई तो समयदीन का बेटा नही बल्कि उसकी लाश नजर आ रही है। मंगलवार देर रात तक उसकी कोई खोज खबर भी नहीं मिल रही थी।
मृतक शिव बहादुर के घर मंगलवार की देर शाम तक सब-कुछ सामान्य था। लेकिन अब गम, इंतजार और आंसू के सिवाय कुछ भी नहीं है।
चूल्हों से धुआं तक नहीं उठ रहा है, जो इंतजार के दर्द की इंतहा को बयां कर रहा है। बुधवार को शिव बहादुर की लाश देखने के बाद से सदमे में आई मां बेटे को याद कर गश खाकर गिर पड़ रही है और कह रही है कि यदि वह शाम को नहीं जाता तो उसकी जान बच जाती।
मृतक शिवबहादुर के घर पर गांव वालों का तांता लगा हुआ है। उनके माता-पिता हर आने जाने वाले लोगों को देखकर कर चीख चीख कर रो रहे हैं, और बार-बार यह कह रहे हैं कोई है जो उनको उनके लाल से मिलवा दे। ऐसी तस्वीर बहादुरा के अहिरन पुरवा में देखने को मिला।
मंगलवार तक खुशहाली का राज था अब मातम
बहादुरा के अहिरन पुरवा में मंगलवार तक खुशहाली का राज था, ये मेहनतकश अपने खेत में मेहनत करने व पसीना बहाने से पीछे नहीं थे। लेकिन बुधवार को हालात जुदा हैं।
मृतक शिवबहादुर के घर आंगन बुधवार को अचानक सूनसान हो जा रहे हैं तो कभी पीड़ित परिवारजन और महिलाओं की जोर -जोर की चीत्कार और करुण क्रंदन से गांव वालों को झकझोर दे रही हैं। करुण क्रंदन सुन गांव की महिलाएं दौड़कर जाती हैं और मृतक के परिजनों को दिलासा दिलाकर जैसे ही हटती हैं वैसे ही फिर मृतक की मां, बहन और भाभी की करुण -क्रंदन सबको झकझोर देती हैं।
बड़ी अनहोनी ने छीन ली नींद
मंगलवार रात में शिव बहादुर घर नहीं आया। तो लोगों की नींद उड़ी रही है। बुधवार को जब उसके शव बरामद होने की पुष्टि हुई तो इस सूचना के बाद गांव के लोगों के माथे की सिकन बढ़ गई है। चिंता का कारण ये कि मृतक मंगलवार शाम घर से पड़ोसी गांव गया था।
रात में परिजनों ने फोन किया तो मोबाइल स्विच आफ थी। तो उनका कलेजा बैठना लाजमी था। बुधवार सुबह गांव के बच्चे कोचिंग पढ़ने जा रहे थे, उन्हें बाग में लाश दिखी।
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