अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय से सटे हुए धुसाह ग्राम सभा में आयोजित किए जा रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा के तीसरे दिन भगवान शिव तथा मां पार्वती के विवाह का मार्मिक प्रसंग विद्वान कथावाचक आचार्य गौरव कृष्ण शास्त्री द्वारा प्रस्तुत किया गया ।
जानकारी के अनुसार घुसाह मे कान्वेंट स्कूल के बगल अयोध्या धाम से आए कथावाचक आचार्य गौरव कृष्ण शास्त्री जी ने भगवान शिव की विवाह का वर्णन कर सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया ।
प्रवचन के दौरान शास्त्री जी ने कहा कि तारक नाम के सुर को मारने के लिए भगवान शिव को राम जी के कहने पर वैराग्य में पहुंचने के बाद भी विवाह रूपी राग मे दोबारा आना पड़ा । हिमांचल जी की पुत्री मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तप किया ।
100 वर्ष तक साग खाए, कंदमूल फल खाकर कठिन तपस्या की । मां को पता चला भगवान को बिल्वपत्र प्रिय है तो मां ने 3000 वर्ष तक जो बेल के वृक्ष से पत्ते नीचे गिर जाते थे उन्हें खाकर तप किए । इतने कठिन तपस्या के बाद भगवान शिव तथा मां पार्वती के विवाह का सहयोग बन पाया ।
उन्होंने कहा कि भगवान शिव तथा मां पार्वती का ऐसा विवाह हुआ जो ना पहले हुआ था और ना आगे कभी होगा । कथा के दौरान सारे भक्तों झूम पड़े । भगवान शिव के झांकी को देखकर और भजनों को सुनकर भजन "सज रहे भोले बाबा निराले दूल्हे में" ।
कार्यक्रम स्थल पर श्रोताओं के बैठने के लिए उचित प्रबंध किए गए हैं । बड़ी संख्या में श्रोता श्रीराम कथा सुनने के लिए कथा स्थल पर पहुंच रहे हैं । आयोजक मंडल द्वारा उचित व्यवस्थाएं भी की गई हैं ।
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