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मनकापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र : प्राइवेट प्रेक्टिस के लिए आवास को दिया क्लीनिक का रूप, मामूली सी समस्या पर भी करवाते है महंगे जांच



आर के गिरी

गोण्डा: योगी राज में भी धरती के भगवान सुधरने का नाम नहीं ले रहे है।

अपने केबिन से गायब डॉ रवीश

जनता को बेहतर स्वास्थ सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार भले ही हर संभव प्रयास कर रही हो लेकिन कुछ ऐसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जहां पर डॉक्टरों ने सरकारी आवास में निजी प्रैक्टिस कर गरीब मरीजों की जेब पर डाका डाल रहे हैं।
डॉ रवीश के प्रतीक्षा में मरीज


सरकारी चिकित्सक निजी प्रैक्टिस कर मरीजों का शोषण ना करें इसलिए सरकार ने डॉक्टरों को (एनपीए) नॉन प्रैक्टिस अलाउंस दे रही है। जिसमें वेतन के अनुपात में 25 परसेंट अतिरिक्त दिया जा रहा है।



इसके बावजूद भी एक ऐसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जहां पर अस्पताल के समय में ही डॉक्टर निजी प्रैक्टिस करने में मशगूल रहते हैं।



जिससे दूर दराज से आए मरीजों को जिना जेब ढीली की यहां पर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता है।


जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनकापुर जहां की परंपरा बन गई है कि जिस भी डॉक्टर की तैनाती की जाती है वह अस्पताल में मरीजों को ना देख कर अपने सरकारी आवास पर अस्पताल के समय में ही शुल्क लेकर मरीज देखते हैं।

 


उसके बाद उन्हें बाहर की दवाएं लिखी जाती हैं। जिनमें इन चिकित्सकों का 50 प्रतिशत से अधिक का कमीशन होता है।महज छोटी - छोटी समस्याओं में जांच के नाम पर भारी भरकम दामों में होने वाले जांच की लिस्ट थमा दी जाती है। यहां पर तैनात चिकित्सक रवीश कुमार ने सारे नियम कानून को ताक पर रखकर अपने आवास के बरामदे को बाकायदा क्लीनिक का रूप दे दिया है।



आरोप है कि साहब अस्पताल में मरीजों को नहीं देखते हैं। कहां तो यहां तक जा रहा है कि अस्पताल के मुख्य गेट पर स्वास्थ्य विभाग के कुछ कर्मचारी कुर्सी लगाकर बैठ जाते हैं। ऐसे में अस्पताल आए मरीजों को सीधे डॉक्टर साहब के पास भेजा जाता है। वहां पर सुबह से शाम तक लेकर मरीजों की भीड़ लग जाती है।



यहां पर मरीजों से थोड़ा फीस लेकर फिर सारी दवाएं बाहर की लिखी जाती है। उसके लिए आसपास के कुछ मेडिकल स्टोर भी निर्धारित कर दिए गए हैं। यह दवाएं सिर्फ उसी मेडिकल स्टोर पर मिलेंगी। जांच के नाम पर तो जमकर लूट की जाती है। इसके लिए भी पैथोलॉजी सेट है।



कमीशन बाजी के चक्कर में यहां पर मरीजों के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ किया जाता है। 

वही डॉ रवीश खुद को एक सम्मानित समाचार पत्र के पत्रकार का निकट संबंधी बता कर रौब ग़ालिब करने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ते है।


बोले जिम्मेदार

इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राधेश्याम केसरी ने बताया प्रकरण मेरे संज्ञान में नहीं है। यदि ऐसा है तो इसकी जांच कराई जाएगी। संबंधित डॉक्टरों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।




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