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गोण्डा:गाजी की दरगाह में गूंजीं शहनाइयां, जायरीनों ने मांगी मुरादें



डॉ ओपी भारती

गोंडा। सैय्यद सालार रज्जब अली हटीला शाह गाजी की दरगाह पर रविवार को पहली चौथी पर जायरीनों का सैलाब उमड़ पड़ा। 


देश के कई प्रांतों व पड़ोसी मुल्क नेपाल से हजारों जायरीन ने दरगाह पहुंच कर निशान व चादर चढ़ाकर मुरादें मांगीं। 200 से अधिक बारातें भी दरगाह पहुंचीं। ढोल-मजीरों के धुनों पर नाचते-गाते लोग बारात के साथ मजार-ए-शरीफ पहुंचे और दहेज का सामान चढ़ाया।


दरगाह स्थित खादिमों ने शनिवार देर रात्रि गुलाब जल, चंदन और केवड़े के साथ 111 घड़े पानी से गाजी के आस्ताने को नहलाया। मजार-ए-शरीफ को फूलों से दूल्हे की तरह सजाया गया। सर पर सेहरा भी रखा गया। समिति ने मजार-ए-शरीफ पर पहली चादर चढ़ाई।


देर रात यहां का मुख्य दरवाजा बारातों के लिए खोल दिया गया। रविवार भोर में 4 बजे से ही दरगाह पर जियारत करने का सिलसिला शुरू हुआ था। हजारों जायरीन दरगाह पर मत्था टेकने के लिए पहुंच गए और गागर व चादर चढ़ाई।

दरगाह समिति के सुलेमान शाह ने बताया कि देर रात्रि से बारातों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। नेपाल, बांग्लादेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों से 200 से अधिक बारातें पहुंचीं। 


जायरीनों ने अपनी बारात के साथ लाए गए दहेज का सामान पलंग, पीढ़ी, फल, फूल, मेवा, गहना व कपड़ा चढ़ाया।



विशेष पकवान से महक उठा मेला परिसर 

 गाजी की दरगाह पर जेठ मेले की पहली चौथी पर एक विशेष प्रकार का व्यंजन बनाया जाता है। 


इसे कंदूरी कहते हैं। मेला परिसर में दरगाह समिति के कई पंडाल भी लगाए गये। शर्बत व विशेष पकवान बनवाया गया। इसके बाद जायरीनों में तकसीम किया गया।



जेबकतरों की रही चांदी 

 दरगाह मेले में जेबकतरों ने खूब मजा किया। करीब आधा दर्जन लोगों की जेबें, जेबकतरों ने खाली कर दी, वहीं चैन स्नैचिंग की भी कई वारदातें हुईं। 


कई महिलाओं के गहने भी पलक झपकते गायब हो गये। गोरखपुर के रामपाल, बस्ती की नीलम, अम्बेडकर नगर की सुनीता, बाराबंकी की रेशमा आदि के गहने व रुपये गायब हो गये। ये सब कुछ दरगाह शरीफ के अंदर हुआ।


मौज करती रही पुलिस 

 जायरीनों की सुरक्षा के लिए वजीरगंज थाने के साथ ही तरबगंज सर्किल , डुमरियाडीह चौकी पुलिस, महिला पुलिस व होमगार्डों की ड्यूटी लगाई गई थी, किन्तु होमगार्डों को छोड़कर पुलिस कर्मी मेला परिसर में एदा-कदा ही दिखाई  दिए। 


दारोगा जी के साथ ही सिपाही भी वहां बनाई गयी अस्थाई चौकी में आराम करती रही।

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