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करनैलगंज:अब नए परिवेश को धारण करेंगी सरयू,प्रशासन ने उठाया बीड़ा



रजनीश/ज्ञान प्रकाश

करनैलगंज(गोंडा)। इंसान ही नही बल्कि जलजीवों व पशुओं के लिए जीवनदायनी बनकर सरयू नदी अब नए परिवेश को धारण करेगी। 


करनैलगंज की सरयू नदी कछुओं के संरक्षण के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण नदियों में शामिल हो गई है। सरयू नदी विचित्र प्रजाति के नौ अलग अलग प्रजातियों के कछुओं का संरक्षण देने वाली पहली नदी है। 


भारत की सभी नदियों में सरयू नदी में मिले इन प्रजातियों के कछुओं को संरक्षित करने के लिए प्रशासन ने बीड़ा उठाया है। इस नदी में एक साथ 9 प्रजातियों के कछुए पाए जा रहे हैं। 


यह कछुए  बेहद कीमती व पर्यावरण के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं इस लिए इनको सुरक्षित व संरक्षित करने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं। 


इस नदी को कछुआ संरक्षण के साथ साथ उनके प्रजनन का हब बनाने का काम प्राथमिकता से कराने के लिए डीएम ने पहल शुरू की है। 


सरयू नदी में सरंक्षित विभिन्न प्रजाति के कछुओं पर टीएसए संस्था के भास्कर दीक्षित व अरुणिमा सहित अन्य सदस्यों द्वारा शोध किया जा रहा है। 


भास्कर भाष्कर दीक्षित ने बताया कि पूरे भारत में किसी नदी में नौ प्रजातियों के कछुए एक साथ नही पाए जाते हैं। यह सरयू नदी उन कछुओं के लिए मुफीद साबित हो रही है। 


तभी कछुओं की संख्या नदी में बढ़ रही है। अब उस नदी को संरक्षित करने की आवश्यकता है। जहाँ गन्दगी व नदी में मिलों का गंदा पानी छोड़े जाने उनको खतरा हो सकता है जिसके लिए बहराइच व गोंडा के जिलाधिकारी से बात रखी गई है। 


पारले मिल बहराइच से बरसात के बाद गन्दा पानी छोड़ने के कारण नदी का पानी दूषित हो रहा है जिसके लिए मिल को बहराइच के डीएम व डीएफओ की तरफ से नोटिस भी जारी की जा चुकी है। 



उधर बीते शनिवार को गोंडा के जिलाधिकारी डॉ.उज्ज्वल कुमार को बताया गया है कि सरयू नदी में संरक्षित कछुओं की माह के पहले सप्ताह में ऑस्कर प्रगति देखी जा रही है। 


उन्होंने एक कछुआ को नदी से निकालकर डीएम को उसकी प्रगति के बारे में विस्तार से बताया भी, जिस पर जिलाधिकारी ने वन विभाग के अधिकारियों को कछुआ प्रजनन केंद्र विकसित करने के लिये प्रोजेक्ट बनाकर शासन को भेजने का निर्देश भी दिया है। अब प्रशासन सरयू नदी में मत्स्य आखेट को बंद कराने की तैयारी में है। 



डीएम ने भविष्य में सरयू नदी से मत्स्य आखेट बंद कराने के भी निर्देश दिए हैं जिससे कछुओं को सुरक्षित संरक्षण मिल सके। जिसके लिए कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। 



उपजिलाधिकारी हीरालाल का कहना है सरयू नदी जलजीवों के लिए बेहद कारगर व मुफीद साबित हो रही है। जिससे इस नदी को संरक्षित करना पहली प्राथमिकता मानी जा रही है। भविष्य में मत्स्य आखेट का ठेका न दिया जाय इसपर पहल शुरू की जा रही है। 



प्रभागीय वन अधिकारी आरके त्रिपाठी का कहना है कि कछुओं को सुरक्षा मिलेगी तभी उनका विकास भी होगा। उनकी प्रजनन क्षमता भी बढ़ेगी। जिसके लिए जिलाधिकारी से पहल की गई है। उनका आश्वासन मिला है। 



अब शासन स्तर पर नदी की सुरक्षा का खाका तैयार कराने का प्रयास किया जाएगा।

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