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अयोध्या:विश्व पटल पर वैदिक परंपरा के प्रचार-प्रसार के लिए किया हवन-पूजन

 


श्रीराम विद्यालय कारसेवकपुरम् में वेद की ऋचाओं की गूंज

अजय मौर्या 

अयोध्या।  वेद ही नारायण है, आज इस कालजयी  समाज में आवश्यकता है कि हम महर्षि दयानंद सरस्वती जी के वाक्य वेदों की ओर लौटो का अनुसरण करें और वैदिक पद्धति को समाज में स्थापित करें जिससे हमारा समाज ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व वैदिक परंपरा से परिचित हो और वेद की वैज्ञानिकता का अनुसरण करें, 


इसी क्रम में गुरूवार को महर्षि वशिष्ठ विद्या समिति के अंतर्गत संचालित श्रीराम विद्यालय कारसेवकपुरम्  अयोध्या में सामवेद की कौथुम शाखा का  नित्य संवर्धन हो , जिस निमित्त वैदिक सनातन परंपरा से विधिवत वेद की ऋचाओं का पारायण कराते हुए हवन - पूजन किया गया । 


कार्यक्रम की अध्यक्षता एवं मणिरामदास छावनी के परमपूज्य महंत एवं महर्षि वशिष्ठ विद्या समिति के अध्यक्ष कमलनयन दास ने की । 


भगवान श्रीराम की  जन्मस्थली अयोध्या में वेद की ऋचाओं की गूंज  महंत नृत्यगोपाल दास एवं हिंदुत्व के पुरोधा पूज्य अशोक सिंघल के अथक प्रयासों से संभव हुआ। 


आज वर्तमान समय में वेद की परंपरा निरंतर गतिमान रहे इस उद्देश्य हेतु कमलनयन दास, श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव  चंपतराय एवं हम  पुरूषोत्तम नारायण सिंह का मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद समयानुसार प्राप्त होता रहता हैं।


हवन पूजन का कार्य कुमारगंज कृषि विश्वविद्यालय के मसाला वैज्ञानिक एवं राष्ट्र कार्य में दक्ष अयोध्या महानगर के महानगर संघचालक तथा महर्षि  वशिष्ठ विद्या समिति के सचिव विक्रमा प्रसाद ने विद्यालय के वेदाचार्यो संग संपूर्ण मनोयोग से संपन्न किया ।


 तत्पश्चात हम सभी को अपना आशीर्वचन प्रदान करते हुए कहा कि भारतीय वैदिक संस्कृति जो विश्व पटल पर आच्छादित रही हैं यह संस्कृति चिरकाल तक भारत का गौरव अक्षुण्ण रखें ।


 ऐसी हम सबकी  जिजीविषा होनी चाहिए और हम सबका प्रयास हो कि भारतवर्ष की अनादि काल से चली आ रही वैदिक परंपरा अक्षुण्ण रहे और नित्य संवर्धन करें । 


आशीर्वचन के क्रम में हम सभी का मार्गदर्शन करते हुए विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री एवं संपूर्ण राष्ट्र में चल रहे वेद विद्यालयों के पालक श्री हरिशंकर जी ने कहा कि वाणी का श्रृंगार सामवेद के द्वारा ही होता है , संगीत का प्रादुर्भाव सामवेद से ही हुआ है । 


भगवान श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या में चतुर्वेद की संकल्पना जल्द साकार हो ऐसी हम सभी की इच्छा होनी चाहिए। 


चतुर्वेद की संकल्पना को लेकर श्री सिंह जी का अथक प्रयास निरंतर जारी है । कार्यक्रम का सफल आयोजन एवं संपूर्ण व्यवस्था श्रीराम वेद विद्यालय के ऊर्जावान एवं यशस्वी प्रधानाचार्य इंद्रदेवमिश्र एवं आधुनिक विषय के आचार्य मुकेश मिश्र ने की। 


वेदाध्यापक दुर्गा प्रसाद,  वेदाचार्य नारद एवं  वेदाचार्य ऋषभ जी ने वेद की ऋचाओं का सस्वर पारायण कर संपूर्ण वातावरण को गुंजायमान कर दिया।  


कार्यक्रम के दौरान शिवदास सुरेंद्र  उमाशंकर,  महंत धर्मदास, वैदिक उमेश ओझा  एवं समस्त वेदपाठी छात्र उपस्थित रहे। 


लोकतंत्र रक्षक एवं महर्षि वशिष्ठ विद्या समिति कारसेवकपुरम के सहमंत्री  राधेश्याम मिश्र ने पधारे हुए समस्त अतिथि महानुभावों का आभार व्यक्त किया एवं भविष्य में उनके  आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन प्राप्त हो ऐसी आकांक्षा व्यक्ति की।

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