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सोनिया गांधी के खिलाफ भाजपा का अमानवीय रवैया शर्मनाक:प्रमोद तिवारी



राज्यसभा सांसद ने केन्द्र सरकार पर लोकतांत्रिक मूल्यों व संसदीय गरिमा को आघात पहुंचाने को लेकर जतायी कड़ी नाराजगी

गौरव तिवारी

लालगंज, प्रतापगढ़। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने भाजपा पर लोकतांत्रिक मूल्यों तथा मर्यादा को ताक पर रखकर संवैधानिक संस्थाओं के लगातार दुरूपयोग को शर्मनाक करार दिया है। 


श्री तिवारी ने कहा कि बीजेपी ने केन्द्र की सत्ता संभालते ही शुरू से ही ईडी जैसी देश की चुनिंदा जांच एजेन्सियों का दुरूपयोग विपक्ष की आवाज को दबाने की अलोकतांत्रिक तानाशाही की शुरूआत की है। 


गुरूवार को ईडी दफ्तर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बुलाये जाने को लेकर सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि बीजेपी यहां तक लज्जाविहीन हो उठी है कि अस्वस्थता के बावजूद ईडी के जरिए वह सोनिया गांधी के साथ अमानवीय व्यवहार पर अमादा है। 


राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा है कि बीजेपी को इतिहास को झुठलाने मे भी इस कदर महारत हासिल हो गयी है कि वह देश की आजादी के मिसाल बनें एक अखबार की गौरवगाथा को भी बर्दास्त नही कर पा रही है। 


कांग्रेस की केन्द्रीय वर्किग कमेटी के सदस्य प्रमोद तिवारी ने केंद्र पर हमलावर होते हुए कहा कि सोनिया गांधी के पति स्वर्गीय राजीव गांधी और सास इन्दिरा गांधी ने देश की एकता और अखण्डता के लिए बलिदान दिया और भाजपा सोनिया गांधी को लेकर भी अहिष्णुता के दायरे से बाहर नही आ पा रही है। 


सोनिया गांधी के साथ प्रतिशोध की कार्यवाही को लोकतांत्रिक मर्यादा के प्रतिकूल ठहराते हुए प्रमोद तिवारी ने लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी तथा राज्यसभा में पार्टी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे व राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत सहित स्वयं के साथ सांसदों को हिरासत मे लिये जाने की कार्रवाई को भी देश की संसदीय गरिमा पर आघात ठहराया है। 


मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल के हवाले से गुरूवार को यहां जारी बयान में प्रमोद तिवारी ने कहा कि कांग्रेस अन्याय तथा असत्य को लेकर सत्ता के दुरूपयोग का लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत जबाब देने से कतई पीछे नही हटेगी। 


उन्होनें केन्द्र की मोदी सरकार पर कड़ा तंज कसते हुए कहा कि उसे लगातार डॉलर के मुकाबले रूपये की गिरावट और मंहगाई तथा बेरोजगारी को लेकर तो कोई फिक्र नही है। 


बल्कि उसका पूरा ध्यान सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ उठने वाली आवाज को सरकारी एजेन्सियों के दुरूपयोग के जरिए दबाने के ही कुत्सित प्रयास में लगा हुआ है।

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