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तस्करी कर नेपाल भेजी जा रही है यूरिया , अंतर्राष्ट्रीय तस्कर गिरोह सक्रिय।



राजकुमार शर्मा 

बहराइच। पूर्व में भारत नेपाल के सीमावर्ती प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी यूरिया की तस्करी रोकते थे। 


पड़ोसी नेपाली जिला बांके में नेपाल सरकार किसानों को यूरिया नही दे पा रही थी। नेपाली पड़ोसी जिला बांके के डीएम सूर्य बहादुर खत्री ने किसानों व राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों में दबाव वश भारतीय क्षेत्र से यूरिया लाने पर प्रतिबंध हटा दिया। 


इसी का फायदा उठाकर सीमावर्ती तस्करों के संगठित गिरोह भारतीय क्षेत्र से बड़े पैमाने पर यूरिया की तस्करी में संलग्न हो गया। 

            

भारतीय क्षेत्र के बाबागंज व आसपास के गांवों में 4 सरकारी खाद की दुकाने हैं इसी क्षेत्र में 6 लाइसेंसी खाद विक्रेता हैं। 


एक खाद विक्रेता के अनुसार यूरिया का सरकारी रेत 2 सौ 80 रुपये व डाई का 1 हजार 2 सौ 60 रुपये है। 


बांके जिला प्रशासन द्वारा अनुमति प्राप्त करते ही नेपाली किसानों को छोड़िए इसी की आड़ में यूरिया की भारी पैमाने पर तस्करी शुरू हो गयी है। 


कस्बे से होते हुए खुलेआम यूरिया की सैकड़ों बोरियां नित्य प्रति नेपाल तस्करी कर ले जाई जा रहीं हैं। 


भारतीय किसानों को एक एक बोरी के लिए आधार कार्ड व किसान बही की मांग कर किसानों को बमुश्किल खाद मिलती है। 


बाबागंज से नेपाल सीमा से सटे गांव पचपकरी, रंजीतबोझा, शिवपुर मोहरनिया, निबिया, मनवरिया, सीतापुरवा, सहजना व गोकुलपुर आदि का किसान जब साईकलों पर लादकर लाता है तो एनएच 927 पर चहलकदमी करते वर्दीधारी उससे सौ बात पूछते हैं। 


कस्बे में बाबागंज की ओर से सुबह से ही ई रिक्शों पर लदी दर्जनों यूरिया की बोरियां लायी जाती हैं। फिर साइकिलों पर लादकर दिनभर सरेआम यूरिया नेपाल ले जा रहे हैं। 


इस गतिविधि पर कोई रुकावट न होना अपने आप मे प्रशासन पर संदेह ही उत्पन्न करता है। 

        

उधर बांके जिले की आर्म्ड पुलिस फोर्स व बांके जिले के पुलिसकर्मी अपना नजराना लेकर इस तस्करी को बढ़ावा दे रहे हैं। 


नेपाल में तस्कर 8 सौ 10 भारतीय मुद्रा में सरेआम बेच रहे हैं। बांके जिले की खडैचा पुलिस चौकी आजकल सुर्खियों में है। 


नेपाली मीडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार खडैचा व भज्जूपुरवा पुलिस चौकी से होते हुए कपड़े, मुर्गे, भैंसे व तम्बाकूजन्य पदार्थो की तस्करी विशेष चर्चा में है। 


यही नही मिली जानकारी के अनुसार यूरिया नेपाल में तीखी बनाने के लिए शराब में भी मिलाई जाती है जिसे नेपाल में घरपाला कहते हैं।






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