Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

नवरात्रि का अंतिम दिन आज माँ, सिद्धिदात्री के लिए उमड़ेगा आस्था का सैलाब




बहराइच। जिस तरह नौ दिनो तक माँ के अनन्य भक्तों द्वारा पूजा पाठ का कार्य किया गया,जिले में चहु ओर माता के जयकारे गूंजते रहे। जिले में जगह-जगह रखी गयी माँ अम्बे की प्रतिमाएं आकर्षण का केंद्र बनी रही वही इसी बीच नवरात्रि का वह अंतिम दिन आ ही गया,जब मईया के जाने का वक़्त होता है । "नवरात्रि यानी सौन्दर्य के मुखरित होने का पर्व" भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए भक्तों ने नौ दिन उपवास किया जिसके बाद सभी भक्त नौवे दिन माँ दुर्गा के सिद्धि और मोक्ष देने वाले स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्र के नौवें दिन करते है। देव, यक्ष, किन्नर, दानव, ऋषि-मुनि, साधक और गृहस्थ आश्रम में जीवनयापन करने वाले भक्त सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। इससे उन्हें यश, बल और धन की प्राप्ति होती है। सिद्धिदात्री देवी उन सभी भक्तों को महाविद्याओं की अष्ट सिद्धियां प्रदान करती हैं, जो सच्चे मन से उनके लिए आराधना करते हैं। मान्यता है कि सभी देवी-देवताओं को भी मां सिद्धिदात्री से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई है। कहते हैं, नौ दिनों तक दैवीय शक्ति मनुष्य लोक के भ्रमण के लिए आती है। इन दिनों की गई उपासना-आराधना से देवी भक्तों पर प्रसन्न होती है।
नवरात्रि के समापन से पूर्व गृह जनपद पहुंची राज्यमंत्री अनुपमा जयसवाल ने अपने निज निवास पर कन्या भोज करा कर माँ दुर्गा स्वरूपनी कन्याओं को भोज कराते हुवे आशीर्वाद प्राप्त किया।

कैसे लगते है माँ को भोग

नौवें दिन सिद्धिदात्री को मौसमी फल, हलवा, पूड़ी, काले चने और नारियल का भोग लगाया जाता है। जो भक्त नवरात्रों का व्रत कर नवमीं पूजन के साथ समापन करते हैं, उन्हें इस संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन दुर्गासप्तशती के नवें अध्याय से मां का पूजन करते हैं। नवरात्र में इस दिन देवी सहित उनके वाहन, सायुज यानी हथियार, योगनियों एवं अन्य देवी देवताओं के नाम से हवन करने का विधान है इससे भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


क्या होता है कन्याओं का भोज

नवरात्रि के अंतिम दिन खीर, ग्वारफली और दूध में गूंथी पूरियां कन्या को खिलानी चाहिए। उसके पैरों में महावर और हाथों में मेहंदी लगाने से देवी पूजा पूर्ण होती है। अगर आपने घर पर हवन का आयोजन किया जाता है। आपको बता दे कि कन्या को इलायची और पान का सेवन कराएं। इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि नवरात्रि के बाद जब देवी मां अपने लोक जाती हैं तो उन्हें घर की कन्या की तरह ही बिदा किया जाना चाहिए। कुछ लोग श्रद्धापूर्वक अंतिम दिन लाल चुनर कन्याओं को भेंट में दें। उन्हें दुर्गा चालीसा की छोटी पुस्तकें भेंट करें।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 




Below Post Ad

5/vgrid/खबरे