इस गांव में सीजन से दो माह पूर्व ही तैयार कर ली जाती है ये नगदी फसल
गांव के लगभग सौ किसान तीन सौ बीघे खेत मे कर रहे ये खेती।
80 वर्षीय वृद्ध किसान दादा छोटेलाल मौर्या की प्रेरणा से इस गांव के लगभग सौ किसानों ने अपनाई ये नगदी खेती।
अमरजीत सिंह
फैजाबाद: यूँ तो सोया मेथी उत्तरी भारत में पत्तियों वाली हरी सब्जी की मुख्य फसल है इस फसल की पत्तियों को लोगों द्वारा प्रयोग किया जाता है वैसे तो ये फसल शरद ऋतु के मौसम में पैदा की जाती है लेकिन जिले के तहसील रुदौली अन्तर्गत इचौलिया गांव के सौ से अधिक किसान इसे शरद ऋतु से दो माह पूर्व ग्रीष्म ऋतु में अगस्त माह में ही अगेती नगदी फसल के रूप में तैयार ज्यादा मुनाफा कमाते है चारों ओर झील से घिरा होने वाले इस गांव के पश्चिमी दक्षिणी कोने पर स्थित सैकड़ो बीघे खेत मे यहां के किसान सीजन से पहले हरी सब्जी का उत्पादन करते है कम समय मे तैयार होने वाली इस फसल को नगदी फसल के रूप में अपनाकर गांव के सैकड़ों किसान कम समय मे ज्यादा मुनाफा कमा रहे है बहुत पोषक तत्व लेने के लिए हरी सब्जियों का शौख रखने वाले लोग इसकी पत्तियों का प्रयोग करते हैं सोया मेथी के बीज अन्य सब्जियों को फ्राई करने के लिये भी प्रयोग किया जाता है।बीज दवाओं में तथा लीवर के रोगियों के लिए लाभदायक होते हैं कच्ची फलियों को भूजी के रूप में प्रयोग करते हैं।इस फसल की पत्तियों में प्रोटीन, खनिज तथा विटामिन्स ‘ए’ व ‘सी’ की अधिक मात्रा पायी जाती है इनके अतिरिक्त इसको खाने से कैलोरीज क्लोरीन,लोहा तथा कैल्सियम आदि पोषक-तत्वों की भी मात्रा प्राप्त होती है जो कि स्वस्थ शरीर रखने के लिए बहुत आवश्यक है
जुलाई माह में ही सोया की अगेती खेती के लिए खेत की तैयारी में जुटते है यहां के किसान
इचौलिया गांव के किसान रामसागर मौर्या विनोद मौर्या राम मिलन रक्षाराम राजितराम मौर्या बताते है कि सोया मेथी की खेती के लिये भी बलुई दोमट भूमि सर्वोत्तम रहती है लेकिन यह फसल हल्की चिकनी मटियार में भी पैदा की जा सकती है भूमि में जल निकास का उचित प्रबन्ध होना अति आवश्यक है।इसीलिये हम सभी किसान खेत मे तीन फुट चौड़ा व बारह फुट लम्बी क्यारी बनाते है जिसके किनारे किनारे पतली नाली भी बनाते है भूमि की तैयारी जुलाई माह से ही शुरू हो जाती है।सर्वप्रथम सूखे खेत की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से या ट्रैक्टर-हैरों से करते है जिससे घास आदि कटकर मिट्टी में दब जाते है बाद में घास को खेत में से निकालते है फिर खेत की दो तीन बार जुताई ट्रैक्टर-ट्राली या देशी हल से करके खेत की मिट्टी भुरभुरी बनाई जाती है फिर तैयार खेत में क्यारियां बनाई जाती है
सोया मेथी की बुवाई का समय तथा पौधों की दूरी
इस बावत इचौलिया गांव में इस खेती की शुरुवात करने वाले बुजुर्ग किसान दादा छोटेलाल मौर्या ने बताया वैसे तो सोया मेथी की बुवाई का उत्तम समय सितम्बर से नवम्बर के मध्य तक है लेकिन यहां के किसान इस फसल को अगेती नगदी फसल के रूप में बोते है इसलिये यहां के किसान इसकी बुवाई जुलाई माह के आखिरी सप्ताह से खेत बनाने का काम शुरू कर देते है और अगस्त के प्रथम सप्ताह तक बीजों का रोपण कर देते है यहां के किसान इस फसल की रोपाई क्यारी विधि से करते है जिनमे बीजों के रोपण में छिड़काव विधि अपनाते है मेथी की बुवाई कतारों में की जाती है जब ये पौधे छः से आठ इंच के हो जाते है तो किसान पौधों को बीच बीच से उखाड़ कर बेचना शुरू कर देते है और अन्य पौधों में 4-5 सेमी० की दूरी बनाना शुरू करते है।जिससे छूटे पौधे की वृद्धि अच्छी होती रहती है।किसान राम कुमार बताते है कि क्योंकि इन मौसम में उमस व गर्मी अधिक होती है इसलिये खेतों में नमी बनी रहे इसलिये फुहारो द्वारा इसकी सिचाई आवश्यकता अनुसार की जाती है।इन्होंने बताया लगभग तीन माह के इस अगेती फसल करने से बुवाई के 20 से 25 दिन बाद से ही हम सभी पैसा मिलना शुरू हो जाता है।इसीलिये 25 वर्ष पूर्व छोटेलाल द्वारा शुरू की गई इस खेती से आज गांव का लगभग सौ से अधिक किसान लगभग तीन सौ बीघे से अधिक भूमि पर इस खेती को अपनाकर कम समय मे ज्यादा मुनाफा कमा रहा है।
सोया मेथी के इन खेतों में अन्य सब्जियां भी तैयार करते है यहां के किसान
सोया मेथी की खेती के नाम से चर्चित गांव इचौलिया गांव के किसान अपने खेतो में सोया मेथी के अलावा इन खेतों की मेढ़ पर मूली मिर्चा पालक आदि के भी पौध प्रचुर मात्रा में उगा लेते है।जिनसे ये किसान और भी अधिक मुनाफा कमा लेते है।हरी सब्जियों के शौखींन लोग तो सीधे खेतों में पहुंच कर ताजी हरी सब्जी की खरीदारी कर लेते है।यहां की महिला किसान क्रांति देवी व शियारानी ने बताया कि रोज क्षेत्र के दर्जनों लोग खेतों में आकर यहां की देशी सोया मेथी मूली पालक आदि हरी सब्जी खरीदकर ले जाते।बाकी यहाँ के दो तीन किसान सभी किसानों की सब्जी लेकर उसे फैजाबाद व रुदौली सब्जी मंडी ले जाकर उसे थोक में बेचते है।हमारे गांव के किसानों में एकता भी बहुत है।हम सभी मिलकर एक दूसरे की फसल भी तैयार करवाते है।ये महिलाएं बताती है।कि हम सभी को अपनी खेती करने के लिये न बाहर से मजदूर लाते है और न ही हम सभी कही मजदूरी करने जाते है।


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