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तो पिता ही निकला कातिल , बेटी और बेटी के प्रेमी को उतारा मौत के घाट


राकेश गिरी 
बस्ती ।बस्ती जिले में ऑनर किलिंग का सनसनीखेज मामला सामने आया है घटना प्रेम प्रसंग की है जिसमें प्रेमी युगल अब इस दुनिया में नहीं हैं। हत्या का इल्जाम युवती के पिता और उसके चार साथियों पर लगा है हालांकि जिन तथ्यों पर पुलिस ने खुलासा किया है वह कानूनी रूप से मजबूत नहीं दिख रहा है।
जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र के आवास विकास कॉलोनी के किशोर सुमित चौधरी के लिए मोहब्बत करना जानलेवा बन गया इतना ही नहीं इसकी कीमत उस युवती ने भी चुने चुकाई जो इस से इंतिहाई मोहब्बत करती थी जी हां घटना प्रेम प्रसंग से जुड़ा हुआ है दशहरे की शाम बस्ती शहर में जब ज्योति यात्रा का जुलूस निकल रहा था तो आवास विकास कॉलोनी निवासी राजेश चौधरी का बेटा सुमित चौधरी घर से यह कहकर निकला कि वह मेले में जा रहा है लेकिन देर रात जब वह घर नहीं लौटा तो घर वालों की परेशानियां बढ़ गई और उन्हें फिक्र होने लगी कि आखिर उनका बेटा कहां गायब हो गया खोजबीन करते-करते पता चला कि ग्यारहवीं का छात्र सुमित कोतवाली थाना क्षेत्र के ही बरगदवा निवासी बलराम चौधरी की बेटी अनुराधा से मोहब्बत करता है तो पिता राजेश को किसी अनहोनी की आशंका सताने लगी लेकिन अनुराधा के पिता बलराम उसे लगातार भरोसा देता रहा कि आप का बेटा गायब हुआ है तो मेरी भी बेटी गायब हुई है दोनों मिलकर खोजबीन करेंगे लेकिन यह योजना कारगर ना हो सकी इसी बीच तीन चार दिन पहले बलराम चौधरी की योजना में शामिल एक शख्श ने शराब के नशे में बरगदवा गांव में ही यह कह कर सबको चौंका दिया कि दोनों की हत्या हो चुकी है जैसे इसकी खबर पुलिस को मिली तो पुलिस ने बलराम को राडार पर ले लिया फिर बलराम ने सख्ती के बाद जो कुछ पुलिस को बताया उसके आधार पर बलराम चौधरी और उसके चार साथी हत्यारे साबित हो गए। बलराम ने पुलिस को बताया कि दशहरे की रात सुमित उनके घर में उनकी बेटी के साथ आपत्तिजनक अवस्था में पकड़ा गया था और उसी वक्त उसने तय कर लिया कि अब सुमित की हत्या कर देंगे और उसी रात उसे मंगनी गाड़ी में लेकर अयोध्या की ओर चल दिए और हाइवे पर बने पुल से उसे सरयू नदी में फेंक दिया बाद में अपनी बेटी को दिलासा दिलाने के लिए इलाहाबाद में रह रही अपनी बहन के घर भेज दिया और 6 अक्टूबर को घर वापस लाने के बहाने अनुराधा को इलाहाबाद से ही बिहार प्रांत के सोनपुर में सोन नदी के पुल से फेंक वापस बस्ती आ गया और लगातार पुलिस की पूछताछ में खुद को निर्दोष साबित करता रहा। अब अगर इसकी दूसरी कड़ी पर ध्यान दें तो दोनों शवों की बरामदगी न होने और पुख्ता प्रमाण न मिलने से पुलिसिया स्क्रिप्ट में कोई दम नहीं दिख रहा है क्योंकि यह आरोप सिर्फ बयान के आधार पर साबित करने की कोशिश की जा रही है फिलहाल जेरे अदालत का मामला है और सच और झूठ का फैसला माननीय अदालत ही करेगी।
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