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बलरामपुर:जिंदगी की जंग हार गई निकिता, ट्रामा सेंटर में लिया आखिरी साँस



पुलिस के हाथ अभी भी खली मुख्य आरोपी तक नहीं पहुँच पाई पुलिस

अखिलेश्वर तिवारी
बलरामपुर । आखिरकार निकिता जिंदगी की जंग हार गई आज उसने ट्रामा सेंटर में आखिरी सांस ले शायद आरोपियों का मंसूबा भी यही था जो पूरा हो गया 6 दिन बीत जाने के बावजूद पुलिस के हाथ अभी तक खाली ही हैं अभी पुलिस को कोई ऐसा ठोस सबूत नहीं मिल पाया है जिसके आधार पर मुख्य आरोपी तक पहुंच पाए हालांकि पुलिस से दावा कर रही है कि उसके पास काफी कुछ सबूत मौजूद है निक्का ने मरने से पूर्व मजिस्ट्रेट को जो अपना बयान दर्ज कराया था वह भी अभी पुलिस के हाथ नहीं लगा है पुलिस अधीक्षक की माने तो मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान की कॉपी मिलने के बाद शीघ्र ही पुलिस पूरे केस का खुलासा भी कर देगी
                 
             दरअसल 8वीं की छात्रा निकिता पर डीजल छिड़ककर आग लगाने की गुत्थी  सुलझने का नाम नहीं ले रही है । फॉरेंसिक टीम एवं नगर कोतवाली की पुलिस ने घटनास्थल का जायजा लेने के बावजूद भी उनके हाथ कोई ऐसा पुख्ता सबूत हासिल नहीं हुआ है । जिससे पुलिस इस वारदात को अंजाम देने वालों तक पहुंच सके । दूसरी ओर मेवालाल चैकी प्रभारी छठू चौधरी जो इस प्रकरण की जांच भी कर रहे हैं वह भी लखनऊ से वापस आ चुके हैं उनको भी इस प्रकरण में कोई ठोस सबूत नहीं मिल सका है । वारदात को अंजाम देने वाले लोगों ने इतनी सावधानी से घटना को अंजाम दिया है की पुलिस मामले में उलझती नजर आ रही है। 
गौरतलब हो की कोतवाली नगर के तुलसीपार्क मोहल्ले में स्थित शारदा पब्लिक स्कूल के परिसर में करीब 10 वर्षों से रह रहे बलुआ बलुई निवासिनी सुनीता श्रीवास्तव पत्नी स्वर्गीय राजेंद्र प्रकाश श्रीवास्तव की 14 वर्षीय पुत्री निकिता श्रीवास्तव को 2 अक्टूबर को रात्रि करीब 10 बजे अज्ञात व्यक्तियों ने आग के हवाले कर दिया था । निकिता की माँ द्वारा दिए गए तहरीर के अनुसार निकिता शौच के लिए टॉयलेट गई हुई थी और टॉयलेट से निकलने पर टॉयलेट के पास खड़े दो अज्ञात व्यक्तियों ने उसको पकड़ लिया और पास में जनरेटर के पास रखे हुए डीजल के डिब्बे को उठाकर उस पर डीजल डालकर आग के हवाले कर दिया । निकिता बरामदे में आकर चीखने चिल्लाने लगी तो उसकी मां और विद्यालय के मालिक के भाई रंजन कुमार बोस के परिजन बाहर निकल कर देखें तो निकता आग की लपटों मैं जल रही थी । उन लोगों ने मिलकर निकता की आग बुझाई और उसे लेकर मेमोरियल चिकित्सालय इलाज के लिए लेकर चले गए । नाजुक स्थिति होने के कारण मेमोरियल चिकित्सालय  के डॉक्टरों ने उसे लखनऊ ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया जहां उसकी आज मौत हो गई ।

स्कूल के मालिक और निकिता का संबंध था पारवारिक
             निकता की मां सुनीता श्रीवास्तव  तुलसी पार्क स्थित शारदा पब्लिक स्कूल के परिसर में ही रहा करती थी । विद्यालय के मालिक के घर का खाना और साफ सफाई का काम करती थी । निकिता तुलसीपुर रोड स्थित शारदा पब्लिक स्कूल में पढ़ती थी । दशहरा की छुट्टी होने के कारण निकिता विद्यालय के मालिक के भाई रंजन कुमार बोस के परिजनों के साथ उनके ससुराल गोरखपुर गई हुई थी और 2 अक्टूबर को शाम करीब 6 बजे वह बलरामपुर वापस आई और उसी दिन रात्रि करीब 10 बजे उसके साथ इस प्रकार का वारदात कैसे घटित हो गया यह बात लोगों को समझ में नहीं आ रही है । कहीं ऐसा तो नहीं कि निकता के साथ गोरखपुर में कोई ऐसा मामला हुआ हो जिसके वजह से उसने या फिर उसके साथ किसी ने इस प्रकार की घटना घटित की हो । हालांकि निकता की मां का कहना है कि जब वह गोरखपुर से लौटी है तो वह काफी खुश थी ।
               आखिरकार घटना की सूचना पुलिस को तत्काल क्यों नहीं दी गई यह भी बात चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि जब 2 अक्टूबर की रात्रि मैं निकिता के साथ ऐसा घटना घटित हुआ तो मेमोरियल चिकित्सालय मैं इलाज के दौरान पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी गई पुलिस के मुताबिक 3 अक्टूबर को उन्हें इस प्रकरण की जानकारी मिली है ।
                पुलिस को दिए गए प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि निकता टॉयलेट करने गई हुई थी और दो अज्ञात लोगों ने उसे पकड़ कर उस पर डीजल डालकर जला दिया । अब बात सामने यह आ रही है कि जब स्कूल के परिसर में सुरक्षा हेतु दो पालतू कुत्ते रहते हैं तो बाहरी व्यक्ति कैसे अंदर दाखिल हो गया और घटना को अंजाम देने के बाद कैसे वे लोग बाहर निकल गए । क्योंकि विद्यालय के मालिक रंजन कुमार बोस ने बताया है कि घटना के तुरंत बाद विद्यालय परिसर में छानबीन की गई लेकिन वहां कोई नहीं था तो फिर निकीता पर आगजनी की घटना किसने घटित की यह भी एक बड़ा सवाल बनता है ।
                       निकिता के साथ हुई आगजनी घटना की जानकारी मोहल्ले में रहने वाले काफी लोगों को नहीं है । इतना बड़ा हादसा हुआ और आसपास के लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगी । जबकि निकता के साथ यह घटना जहां घटित हुई है वह बहुत ही घनी जगह है । परिसर के बाहर सड़क है जो झारखंडी रेलवे स्टेशन की ओर जाता है । उस सड़क पर देर रात तक लोगों का आवागमन रहता है उसके बावजूद भी इस घटना की जानकारी किसी को नहीं हुई इससे यह साफ पता चलता है कि वारदात हो जाने की बात को काफी गोपनीय रखा गया ।
                  फॉरेंसिक टीम एवं कोतवाली नगर की पुलिस ने घटनास्थल का जायजा भी लिया है । उन्होंने बताया कि घटना जहां हुई है उस परिसर में 2 पालतू कुत्ते खुले रहते हैं । इस बाबत गेट खोल कर बाहरी व्यक्तियों का परिसर में प्रवेश करना असंभव है । उन्होंने यह भी बताया कि हम सभी भी जब कुत्तों को बंद करवा दिए हैं तब जाकर परिसर में प्रवेश कर घटनास्थल का जायजा लिया । अब बात यह आती है कि जब सुरक्षा के इतने पुख्ता इंतजाम है तो बहरी व्यक्तियों का प्रवेश पर रोक रहता है तो फिर घटना हुई कैसे ? ऐसे कई अनसुलझे सवाल हैं जिनका जबाब पुलिस को खोजना है ।

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