
पुलिसिया कार्यशैली से सरकार की छवि हो रही खराब
वाहन चेकिंग के नाम पर आमजनों का किया जा रहा है उत्पीड़न
गोण्डा। प्रदेश सरकार की मंशा है कि समाज भयमुक्त हो, और अपराधी जेल में हो लेकिन शायद गोण्डा में ऐसा नही हो रहा है। अपने ही शासन के अधिकारियों की कार्यशैली से नाराज सदर विधायक ने पुलिस प्रशासन पर गम्भीर आरोप लगाये है। विधायक का मानना है कि पुलिसिया कार्यशैली से सरकार की छवि खराब हो रही है। वाहन चेकिंग के नाम पर आमजनों का उत्पीड़न किया जा रहा है।
यह दर्द किसी और का नही बल्कि भाजपा के सदर विधायक प्रतीक भूषण सिंह का है। विधायक के प्रतिनिधि द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि अब थानों पर भ्रष्टाचार नियंत्रण से बाहर है। जिले में विगत 10 अक्टूबर को हुयी पचास लाख की दिन दहाड़े बैंक डकैती के नाम पर आस-पास के क्षेत्र से दर्जन भर निर्दोष लोगों को प्रतिदिन हिरासत में लिया जाता है। उनका आर्थिक शोषण करने के बाद उन्हें छोड़ दिया जाता है। बैंक डकैती के दो सप्ताह बाद भी अभियुक्त पुलिस की गिरफ्त से दूर है। धन तेरस व दीपावली के दिन भी वाहन चेकिंग के नाम पर खुलेआम वसूली की गई। केवल वाहन चेकिंग से अपराधियों का पकड़ा जाना सम्भव नही है। इससे आमजन का उत्पीड़न हो रहा है। निर्दोष लोगों का पुलिस द्वारा उत्पीड़न किये जाने से सरकार की छवि खराब हो रही है। यही नही पुलिस प्रशासन की मौन सहमत से नरायनपुर ईधा, नरायनपुर बली, रामनगर तरहर, दरियापुर, में अवैध खनन का कारोबार बेरोक-टोक जारी है। हद तो तब हो गई जब नगर पालिका क्षेत्र में टैम्पो, रिक्शा और ठेलेवालों तक से पुलिस अवैध वसूली करके अस्थायी अनुमति देकर नगर में भीषण जाम पैदा कर रही है। जिससे आमलोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जिले के पुलिस के संरक्षण में करीब सैकड़ों गांव में अवैध कच्ची शराब की भट्ठियां पिछली सरकारों की भांति निरंतर चल रही है। जिससे प्रतिवर्ष सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की हानि उठानी पड़ रही है। वही जहरीली शराब पीने से तमाम गृहस्तियां भी उजड़ चुकी है। संगीन अपराधों के अपराधी पुलिस की पकड़ से बाहर है। बीते दिनों कनर्लगंज कलेक्टेªट परिसर, एलबीएस चैराहा मनकापुर व मोतीगंज में हुई लूट का खुलासा अभी तक पुलिस नही कर सकी है। ऐसे संगीन अपराधों के लिए सरकार विधायक मुख्यमंत्री जिम्मेदार नही है। यदि गोण्डा जनपद के पुलिस के आला अधिकारियों ने ईमानदारी से काम किया होता तो आज कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा न होता। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी कानून व्यवस्था में सुधार नही लाते है तो उन्हें गम्भीर प्रशासनिक कार्यवाही के लिए तैयार रहना चाहिए।
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