अखिलेश्वर तिवारी
बलरामपुर। अखिल भारतीय प्रधान संघ के आवाहन पर जनपद के सभी ब्लॉकों पर ब्लाक अध्यक्ष तथा मुख्यालय पर जिला प्रभारी की अध्यक्षता में जनसभा कर पंचायत स्तर पर आ रही समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित 16 सूत्री मांग पत्र जिला प्रशासन को सौपा कर समस्याओं के निराकरण की मांग की है।
जसनकारी के अनुसार सदर बिकास खंड कार्यालय पर जिला प्रभारी सौरभ त्रिपाठी की अगुवाई में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री को संबोधित 16 सूत्रीय मांगपत्र सदर एसडीएम तथा सदर खंड विकास अधिकारी को सैकड़ों प्रधानों के साथ सौंपा। मांग पत्र में प्रमुख रूप से :-
प्रधानमंत्री आवास के चयन में प्रधानों की सहमति,
मनरेगा में मजदूरी ₹ 175 से बढ़ाकर 250 और 300 करने, राजनैतिक द्वेष के चलते प्रधानों की हुई हत्याओं मे उनके परिजनों को उचित मुआवजा और सुरक्षा देने, पंचायत के विकास कार्यों में जांच के नाम पर उत्पीड़न रोकने, प्रधानों व पंचायतों के जनप्रतिनिधियों को सम्मानजनक मानदेय और मृत्यु पर 10लाख न्यूनतम आर्थिक सहायता देने, सरकारी वाहनों में निशुल्क यात्रा, कार्यकाल पूरा होने के पश्चात पेंशन, अलग से ग्राम निधि का बजट, 73 वे संविधान संशोधन व संविधान की 13वे अनुसूची में वर्णित अधिकार देने, पंचायत स्तर पर मिनी सचिवालय को संपूर्ण संसाधन उपलब्ध कराने, आय जाति निवास आयु सहित तमाम प्रमाण पत्र जारी करने और क्षेत्रों में तैनात राशन डीलर आंगनवाड़ी आशा बहू सफाई कर्मी प्रेरक किसानमित्र चौकीदार मिड डे मील रसोईया तकनीकी और गैर तकनीकी कार्यों की मानक अनुसार अनुबंध आधारित कार्यों का सत्यापन स्थतांतरण बर्खास्तगी के अधिकार की मांग शामिल है। ज्ञापन में अपने संघर्षों को दर्शाते हुए कहा है कि जंतर-मंतर पर चल रहे प्रदर्शन के दौरान केंद्र सरकार के भदोही सांसद व किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विरेंद्र सिंह के आश्वासन पर प्रधान संघ के राष्ट्रीय नेताओं ने प्रदर्शन समाप्त कर उत्तर प्रदेश में चल रहे चुनाव में भाजपा का समर्थन किया था । उत्तर प्रदेश में भाजपा शासन बनने के बाद भी प्रधानों की समस्या ज्यो कि त्यों बनी है यह खेद का विषय है। इस अवसर पर प्रधान संघ के अध्यक्ष सत्यदेव पाठक, सेतुबंध तिवारी सेतु बाबा, विश्वनाथ सुक्ला, नाजिर हुसैन, महेश मिश्रा, डॉक्टर जब्बार, अमरेश प्रजापति, रामकुमार, हजारी प्रसाद व चंद्रभान शुक्ला सहित भारी संख्या में प्रधान व उनके प्रतिनिधि मौजूद रहे।


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