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कांग्रेस प्रेसिडेंट बनने के 24 घंटे बाद में लगे ये नारे: राहुल गांधी शर्म करो किसानो की जमीन वापस करो


अमेठी (यूपी). कांग्रेस के नेशनल प्रेसिडेंट की सीट सम्भाले अमेठी सांसद राहुल गांधी को अभी 24 घंटे भी पूरे नहीं हुए थे के यहां गौरीगंज के सम्राट बाइस्किल  फैक्ट्री के गेट पर किसानों ने उनका पुतला फूंक कर विरोध प्रदर्शन किया। दरअस्ल ये किसान सम्राट बाइस्किल  फैक्ट्री में गई अपनी जमीन वापसी की मांग कर रहे हैं और उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ नारेबाजी भी की है।

मंगलवार को अमेठी के कौहार में हुआ प्रदर्शन
'राहुल गांधी मुर्दाबाद' के नारे लगा रहे किसानों ने आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी जमीन राहुल गांधी के ट्रस्ट राजीव गांधी चेरिटेबल ट्रस्ट के कब्जे में है यदि राहुल गांधी सचमुच किसानों के हितैषी है तो किसान को उसकी जमीन वापस करें। किसानो का कहना है कि फैक्ट्री कई सालो से बंद पडी है न हमे रोजगार मिला न हमारी जमीन वापस मिल रही है।
मंगलवार को हुआ ये प्रदर्शन किसान नेता लल्लन पाठक, योगेश,अर्चना सिंह की अगुवाई में हुआ। 

192 परिवारों की 65.57 एकड़ ज़मीन का मामला

1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आह्वान पर योगेंद्र ने अपनी सौ बीघा जमीन यूपीएसआईडीसी को दे दी। 
औद्योगिक क्षेत्र कौहार स्थित 65.57 एकड़ भूमि पर मेसर्स सम्राट बाइसाइकिल के नाम से कंपनी चलाने के लिए जैन बंधुओं ने ली थी। फैक्ट्री चलने में असफल होने के बाद इस जमीन की नीलामी 24 फ़रवरी 2014 को 20.10 करोड़ रूपए में हुई। 
सरकारी वायदे के मुताबिक योगेंद्र को 5 हजार रुपये प्रति बीघा मुआवजा और सम्राट साइकिल फैक्ट्री में नौकरी भी मिल गई। लेकिन 2 साल बाद कंपनी बंद हो गई और नौकरी भी चली गई।
कुछ ऐसी ही हालत लल्लन पाठक की भी है। आज पान की दुकान चला रहे लल्लन पाठक एक जमाने में बड़े बाग के मालिक थे। इनके बाग से जरूरतमंदों को मुफ्त में फल और लकड़ियां दी जाती थीं। लेकिन आज ये पान की दुकान ही इनके जीने का सहारा है। पाठक को भी सम्राट साइकिट कारखाने में नौकरी मिली थी। लेकिन दो साल में ही सबकुछ बदल गया। पाठक के मुताबिक जिन 192 परिवारों की जमीन अधिग्रहीत की गई थी वो आज भुखमरी की कगार पर हैं।

SDM ने यूपीएसआईडीसी को ज़मीन लौटाने के दिये थे आदेश 

आपको बता दें कि दस्तावेजो के मुताबिक यूपीएसआईडीसी ने 8 अगस्त 1986 को 65.57 एकड़ भूमि मेसर्स सम्राट बाइसकिल के नाम पट्टा किया था, लेकिन जब कंपनी बंद हो गई तो डीआरटी ने ऋण की वसूली करने के लिए 24 फरवरी 2014 को इसकी नीलामी करवा दी थी। 
नीलामी में खरीदी गई इस जमीन को राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट ने एक करोड़ 50 हजार रुपए की स्टांप ड्यूटी भी चुकाई थी।  हालांकि बाद में भूमि नीलामी प्रक्रिया को यूपीएसआईडीसी ने अवैध करार दिया था। 
बाद में ये केस गौरीगंज एसडीएम कोर्ट में गया और कोर्ट ने समार्ट साइकिल फैक्ट्री की जमीन यूपीएसआईडीसी को लौटाने के आदेश दिए थे।

राजीव गांधी ट्रस्ट ने नियमानुसार ली जमीन

वहीं कांग्रेस जिलाध्यक्ष योगेंद्र मिश्रा ने बताया के राजीव गांधी ट्रस्ट ने ये जमीन नियमानुसार नीलामी में हिस्सा लेकर खरीदी थी। कांग्रेस के मुताबिक इस मामले में अगर कोई हेरफेर हुई है तो इसके लिए यूपीएसआईडीसी, अमेठी प्रशासन और सम्राट कंपनी ज़िम्मेदार है ना कि राजीव गांधी ट्रस्ट।

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