अमेठी. कांग्रेस के गढ़ अमेठी की जायस नगरपालिका में बीजेपी की परम्परा को बाकी रखते हुए शपथ ग्रहण कार्यक्रम की शुरुआत 'वंदेमातरम' से ज़रूर हुई। लेकिन बवंडर तब मच गया जब दर्जन भर सभासद ये कहकर कार्यक्रम का बहिष्कार करते हुए सड़को पर उतर आये जब बीजेपी के दो सभासदों का माला पहनाकार स्वागत हुआ। बाकी का इसलिए नहीं के या तो ये कांग्रेसी थे या सपाई, हैरत की बात ये के इस पर योगी के मंत्री और अमेठी के प्रभारी मंत्री मोहसिन रज़ा ने कहा के उनको मानसिकता बदलनी पड़ेगी। अब ये दुकानें चलाने के लिये कहीं और ठिकाना ढूंढे।
15 सभासदों ने किया बहिष्कार
आपको बता दें के जायस नगरपालिका जिस पर कांग्रेस का एक क्षत्र राज था मोदी-योगी लहर में उस पर बीजेपी ने पहली बार कब्जा किया। बीजेपी से महेश प्रताप सोनकर ने कांग्रेस प्रत्याशी को हराकर जीत दर्ज कराई। इसके बाद उन्हें नई दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने का सौभाग्य भी मिला। इसी क्रम में मंगलवार को शपथ ग्रहण समारोह था और मुख्य अतिथि से योगी सरकार के मंत्री एवं अमेठी का प्रभार सम्भाल रहे मोहसिन रज़ा। शपथ ग्रहण के फौरन बाद माल्यार्पण का दौर चला। जहां चेयरमैन महेश प्रताप सोनकर का माल्यार्पण कर स्वागत हुआ। आरोप है के इसके फौरन बाद बीजेपी के सिम्बल पर जीते दो सभासदों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया बाकी कांग्रेस-सपा सभासदों का नहीं। इससे नाराज़ 15 सभासदों ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया और सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया।
जायस नगर पालिका कांग्रेसी इसलिए ऐसे किया जा रहा
सभासद मोहम्मद मेराज ने आरोप लगाते हुए सवाल किया क्या दो ही सभासद हैं? क्या नगर पालिका के अंदर और माला नही थी? ये सरकारी कार्यक्रम है या हम लोगों का शपथ ग्रहण समारोह? उन्होंने कहा के इस तरह सौतेला व्यवहार किया जा रहा है, जायस नगर पालिका कांग्रेसी है इसलिए ऐसे किया जा रहा है। इस तरह भेदभाव नहीं करना चाहिये हम कोई मामूली आदमी नहीं। बताते तो हम माला लेकर आते।
जानें कहाँ चुके मंत्री
वही जब इस मामले पर योगी सरकार के मंत्री एवं अमेठी के प्रभारी मंत्री मोहसिन रज़ा से बातचीत किया गया तो उन्होंने कहा के "सबका साथ-सबका विकास" ये नारा नहीं अपने आप में बहुत बड़ा सम्मान है। अगर आप ये खुद तय करें के हमें सम्मान नहीं मिला, हम खुद से तय करें के हमें सम्मान नहीं मिला तो ये हमारी सोच हो सकती है।
हमनें तो साफ तौर पर कहा और किस तरह के सम्मान की बात करते हैं? उनको मानसिकता बदलना पड़ेगी। अब उन्हें मालूम हो जाना चाहिये के ऐसे लोगों की दुकानें बंद कर दी है जनता ने? हालांकि मंत्री चूक गये ये आरोप लगाने वाले वही थे जिन्हें जनता ने ही चुनकर भेजा था।
फिर मंत्री ने सफाई पेश करते कहा हमने नही, अब ये दुकानें चलाने के लिये कोई और ठिकाना ढूंढो यहां दुकानें नही चलने वाली।




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