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वेद रूपी कल्प वृक्ष का फल है भागवत कथा :साध्वी



किशोरी सदन में चल रही श्रीमद भागवत कथा
शिवेश शुक्ला 
प्रतापगढ । विश्व मंगल परिवार द्वारा किशोरी सदन में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिवस वृन्दावन वासिनी कथा व्यास साध्वी साधना श्री जी ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा वेद रूपी कल्प वृक्ष का फल है जिसको कथा प्रेमी सज्जन कर्णो के माध्यम से हृदय में धारित करते हैं।कथा में आज धुन्धकारी और गोकर्ण की कथा के प्रसंग को सुनाते हुए श्री जी ने बताया कि आत्मदेव निःसंतान थे,लोगों के ताने सुनकर वे आत्महत्या के विचार से निकले।मार्ग में एक संत ने उनकी समस्या जानकर आत्मदेव को एक फल पत्नी धुंधली को खिलाने के लिए दिया। किन्तु वह गर्भ नही धारण करना चाहती थी और अपनी बहन के परामर्श के अनुसार की वह गर्भवती है और अपने पुत्र को उसे दे देगी।धुंधली ने उस फल को गाय को खिला दिया। गाय को मनुष्य रूप मे पुत्र उत्पन्न होता है जिसके केवल कान ही गाय की तरह है।उसका नाम गोकर्ण रखा गया और उसकी बहन का पुत्र जिसको उसने अपना बताया कि नाम धुन्धकारी रखा गया। धुन्धकारी अत्यंत दुष्ट, कामी एवं चोर प्रवृत्ति का था जबकि गोकर्ण उसके विपरीत अत्यंत धार्मिक,सत्यवादी एवं पवित्र आत्मा था। धुन्धकारी की दुष्प्रवृत्ति के कारण आत्मदेव की मृत्यु हो जाती है।वेश्यावृत्ति के लिए माँ धुंधली द्वारा धन न मिलने से वह उसकी हत्या कर देता है और वेश्याओं को धन न मिलने से वह भी उनके द्वारा मारा जाता है तथा प्रेत योनि को प्राप्त होता है। गोकर्ण द्वारा सप्तदिवसीय भागवत कथा का श्रवण करने से उसके लिए स्वर्ग से विमान आता है और वह स्वर्ग को प्राप्त होता है।  इस तरह श्रीमदभागवत कथा  के श्रवण से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और वह पूर्वजों समेत स्वर्ग को प्राप्त करता है। कथा में ऋषि दुर्वासा के पुत्र रूप शुकदेव महराज के जन्म का भी प्रसंग सुनाया जो माँ के गर्भ में 12 वर्ष तक रहे। उनके जन्म के प्रसंग के अवसर पर कथाप्रेमी भक्त गण   खुशी से झूमते रहे। कथा के अवसर पर संयोजक रतन जैन,संजीव आहूजा, शरद केसरवानी, डॉ पीयूष कान्त शर्मा,मुरलीधर केसरवानी, श्रीराम मिश्र,राकेश सिंह,अमर सिंह,नीरजा खंडेलवाल आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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