अलीम खान
अमेठी. कांग्रेसी शुक्रवार को अपनी स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी का 47 वां जन्मदिन मना रहे हैं। ऐसे में हम आपको प्रियंका गांधी की कुछ वो किस्से बता रहे हैं जिससे उनके अमेठी से जुड़े रिश्तों की वास्तविकता का अंदाज़ा होता है। इस बारे में हमारे संवाददाता ने वरिष्ठ पत्रकार विवेक विक्रम सिंह और आलोक श्रीवास्तव से ख़ास बातचीत किया जिसमें ये बातें सामनें आईं।
सड़कों से अधिक गांव की मेढों पर जमकर किया था सफर
वरिष्ठ पत्रकार विवेक विक्रम सिंह ने बताया कि सक्रिय राजानीति में आने के बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 1999 में अमेठी से लोकसभा का चुनाव लड़ रहीं थीं। उनके प्रतिद्वंदी के रूप में वर्तमान में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डा. संजय सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में थे।
सोनिया गांधी की चुनावी कमान प्रियंका गांधी के हाथों में थी और लग्ज़री गाड़ियों से कम पैदल सफर अधिक कर रही थीं। उस समय प्रियंका गांधी ने अमेठी की सड़कों से अधिक गांव की मेढों पर जमकर सफर किया था। कई बार तो स्थित ऐसी भी आई थी के मेढों पर उनके क़दम डगमगा गये थे। श्री सिंह बताते हैं के आलम ये था इतने समय में ही प्रियंका हर एक कार्यकर्ताओं के नाम जान चुकी थी और उन्हें नाम से ही बुलाती थीं। जिससे उन्होंंने लोगों के दिलों में अपनी जगह बना लिया था और फिर नतीजा सामनें था। सोनिया गांधी ने ये चुनाव रिकार्ड मतों से जीता था।
गाजनपुर दुवरिया गांव में कराया था छाजन कार्य
इसी क्रम में पत्रकार आलोक श्रीवास्तव ने बताया के प्रियंका गांधी का ग्लैमर आज भी अमेठी के लोगों में है, इसका मुख्य कारण जहां उनके अंदर दादी की छाप है वहीं वो समाज के आख़री आदमी को साथ लेकर चलती हैं।
श्री श्रीवास्तव बताते हैं के 2004 की बात है अमेठी के मुसाफ़िरखाना कोतवाली अंतर्गत गाजनपुर दुवरिया गांव में गांव तबाह हो गया था, ये वो गांव है जहां प्रियंका का अक्सर आना जाना रहा है। प्रियंका गांधी को जब इस घटना की सूचना मिली तो वो गांव आईं खुद कुर्सी पर बैठकर छाजन का काम कराया।
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