ओ0पी0भारती/विजय शुक्ल
वजीरगंज(गोंडा) वजीरगंज क्षेत्र के रामेश्वरनाथ सिन्हा फाउंडेशन द्वारा आयोजित जनहित मेले में कवि सम्मेलन का आयोजन हुवा। जिसकी अध्यक्षता हीरा सिंह मधुर, संचालन अशोक टाटम्बरी ने किया।
काव्यपाठ की शुरुवात
फैजाबाद से आये रामानंद सागर ने -
"अंजुरी भर भाव के प्रसून अबकी स्वीकार करो मां "
सरस्वती वंदना से किया।
बाराबंकी से आये डॉ अम्बरीष अम्बर ने पढ़ा-
"दक्षिण से है गहरा तथा उत्तर से व्योम है,
है प्रस्तरी पूरब तथा पश्चिम से फोम है।
उत्पत्ति सृष्टि पालन संहार यहीं से,
हिन्दोस्तान अपना सम्पूर्ण ओम है।।
सीमा आजाद फैजाबादी ने पढ़ा -
जो रातों पे भी चलती उनकी हुकूमत,
तो सूरज सुबह का निकलने न पाता ।।
मासूम लखनवी ने पढ़ा-
निमियाँ पिपरवा की छांव,
सुहानी लागे गांव की बयरिया।।
सुरेश मोकलपुरी ने पढ़ा -
"लोक तंत्र का नारा अब तो लगता बहुत उबाऊ है,
नोट तंत्र है भारी सब पर एक एक वोट बिकाऊ है।।
नंद कुमार मुकुल ने पढ़ा -
उम्मीदों की कश्ती को डुबोया नही करते,
साहिल हो वेदर्द तो रोया नही करते।
संजोकर रहते हैं जो आस दिल में ,
जिंदगी में कुछ भी खोया नही करते।।
अंजनी कुमार शेष ने पढ़ा -
न खाने की कसमें खाता, पर खा जाता है,
पांच साल के लिए जिसे भी परखा जाता है।।
देश चाहता है सोने की चिड़िया उड़े मगर,
जो आता है कतर के उसका पर खा जाता है।।
केदारनाथ मिश्र ललक ने पढ़ा-
कहिन रहा कि सब केव पायी लेकिन सभै न पावा,
खाली सांड बहेल्ला खातिर अच्छा दिन है आवा।
शिवकांत मिश्र विद्रोही ने पढ़ा -
समंदर को बाढ़ की चिंता नही होती,
सिंह को गंजों के चिघ्घाड़ की चिंता नही होती।
नचाते हथेली पर मौत प्रहरी खड़े सीमा पर,
शहीदों के हृदय में प्राण की चिंता नही होती।
अध्यक्षीय पाठ में हीरा सिंह मधुर ने पढ़ा-
जाड़े मा दिन न जनि परै, दिन का जाड़ा ई खेदत है,
माघ महीना कै जाड़ा, जन का हाड़ा यस छेदत है।
![]() |
अन्य कवियों राज कुमार राजू, रवींद्र कुमार पांडेय, शिवपूजन शुक्ल, शिवांशु मिश्र, लक्षयदीप शर्मा आदि ने भी कविता पाठ किया। इसके पहले राधा कृष्णा की मनोहारी झांकी का प्रदर्शन कर फूलों की होली खेली गई। डॉ दीपेन सिन्हा ने कवियों एवं अन्य को सम्मानित किया। आयोजक प्रधान कृष्णा सिन्हा ने सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।



एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ