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भये प्रकट कृपाला दीनदयाला कौशिल्या हितकारी



ओपी भारती
वजीरगंज के शिवाला गांव के गौरेश्वरनाथ मंदिर पर 41 दिवसीय जनकल्याण कारी अनुष्ठान के तहत चल रही राम कथा की लोकप्रियता दिनप्रतिदिन बढ़ती जा रही है। श्री राम कथा के प्रहसंग में श्री गणेशजी महराज ने श्री राम जन्म की रोचक कथा का सजीव वर्णन किया। कथा में श्री महराज ने बताया कि भगवान राम क्यो और कैसे इस धरती पर औतार लिये। उन्होंने कहा कि धरती रावण ,कुम्भकर्ण जैसे राक्षसों के आतंक से त्राहि त्राहि कर रही थी। धरती ने स्वयं जाकर भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि  धरती पर पाप बहुत बढ गया है,अब सहन नही होता। भगवान विष्णु ने धरती को इस आश्वासन के साथ वापस भेजा कि जाओ मैं  अवध के रघुकुल शिरोमणि दशरथ के घर जन्म लेकर पापियों का समूल नाश करूंगा। इधर भगवान ने अपनी लीला फैलाई और गुरु बशिष्ठ की पत्नी अरुंधती ने राजा दशरथ के मन मे पुत्र प्राप्ति की लालसा जागृत किया। राजा दशरथ ने  गुरु बशिष्ठ से अपने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि चौथापन आ गया है मेरे कोई पुत्र नही है मेरे बाद इस राजपाट का उत्तराधिकारी कौन होगा। गुरु बशिष्ठ ने कहा कि राजन पुत्र प्राप्ति हेतु आपको पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाना होगा। महराज दशरथ ने इस यज्ञ की जिम्मेदारी गुरु बशिष्ठ को दे दिया। गुरु बशिष्ठ ने श्रृंगी ऋषि से पुत्रेष्ठी यज्ञ करवाया। यज्ञ की पूर्णाहुति पर अग्नि देवता ने प्रकट होकर प्रसाद के रूप में खीर दिया। जिसे महराज दशरथ ने अपने रानियों को खिलाया। 
नौमी तिथि मधुमास पुनिता।
शुक्लपक्ष अभिजित हरि प्रीता।।
मध्यदिवस अति शीत न घामा।
पावन काल लोक विश्रामा।।
इस तरह से जन कल्याण हेतु भगवान विष्णु ने राम के रूप में अवध में जन्म लिया।
भगवान जन्म होते ही कथा पंडाल में गोले पटाखे फूटने लगे  न्यौछावर चढ़ा कर खुशियां मनाई जाने लगी। महिलाएं सोहर व मंगलचार गाने लगी। कथा में  प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रमापति शास्त्री व बलरामपुर विधायक ने ने पहुँच कर कथा का आनंद लिया। कैबिनेट मंत्री एवं विधायक ने आयोजकों को आयोजन के लिए शुभकानाएं दी।  कथा के अंत मे श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित किया गया

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