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माँ कुष्मांडा देवी के तेज से दसों दिशाएं होती है प्रकाशित










गनेश वर्मा
कौशाम्बी :आदिशक्ति  मां जगत जगदंबा राजराजेश्वरी मां दुर्गा का चौथा स्वरूप कुष्मांडा देवी के रूप में विख्यात है। मान्यता है कि मां कुष्मांडा अपनी हंसी से संपूर्ण ब्रह्मांड को उत्पन्न करती हैं इस कारण उन्हें कुष्मांडा देवी कहा गया है कुम्हणे (एक फल ) की बली प्रिय होने के कारण भी कुष्मांडा देवी कहा जाता है ।सूर्यमंडल के भीतर निवास करने वाली कुष्मांडा देवी कांति सूर्य के समान दैदीयमान्य है ।मान्यता है कि इन्हीं के तेज से दसों दिशाएं प्रकाशित होती है आठ भुजाओं के कारण ने अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है ।






स्वरूप का ध्यान मां के दिव्य स्वरूप के ध्यान में हमेशा यह प्रेरणा मिलती है कि सृजन में रहकर अपने मन को विकारों से बचा सकते हैं और अपने जीवन में हास्य-  परिहास को स्थान दे सकते हैं मां का ध्यान हमारी सृजन शक्ति को सार्थक कार्यों में लगाता है और हमें तनाव मुक्त कर देश समाज और परिवार के लिए उपयोगी  बनाता है हमें  आत्म कल्याण की राह दिखाता मां कुष्मांडा का ध्यान कर्मेन्द्रियो व ज्ञानेन्द्रियो को नियंत्रण में रहकर  हमें सृजनात्मक कार्यो में सगलग्न रहने का  संदेश प्रदान करता है।








 नवरात्र में करारी क्षेत्र के कई दर्जनो जगह दुर्गा प्रतिमा स्थापित किया गया है ।और उसकी देखरेख वह किसी भी प्रकार की कोई  समस्या ना हो  उसके लिये थाना प्रभारी निरीक्षकअर्जुन सिंह लगातार सभी स्थानों का भ्रमण करके जायजा ले रहे हैं ।करारी कस्बे में करीब आधा दर्जन स्थानों में मां की प्रतिमा 9 दिन के लिए स्थापित की गई है वहीं करारी भरत मिलाप मैदान श्री दुर्गा पूजा कमेटी सोनारटोला में  मां की भव्य झांकियां सजाई गई हैं । सुरक्षा की दृष्टि से थाना निरीक्षक प्रभारी करारी  अधिकारियों के निर्देश पर लगातार भ्रमण करके जायजा ले रहे हैं और बनाने वालों इंडियन को लगातार मुलाकात करके कोई भी समस्या होने पर पुलिस को अवगत कराने को कह रहे हैं सुरक्षा की दृष्टि से करारी पुलिस  अलर्ट है।



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