दुर्गा सिंह पटेल
गोंडा।सरकार आम नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए तरह तरह के नियम कानून और उन नियमो को पालन कराने के लिए संविधान के तहत विभाग भी बने हुए है किंतु आर्थिक पूर्ति के चलते सभी नियम कानून सिर्फ कागजो तक ही सीमित होकर रह गए है।वही दूधिया लोग मिलावटी दूध खुले आम सुबह दूध लेकर रोड पर दिखाई देते है लेकिन खाद्य विभाग को खुले आम चुनौती देते है।इन दुधियो के ऊपर कोई कार्यवाही नही करते है इससे इनके हौशला बुलन्द है मिलावटी दूध बेच रहे है लगभग सभी सड़कों पर दिखाई देते है।
मानव मशीनरी को सुचारू रूप से चलाने के लिए शुद्ध वातावरण के साथ शुद्ध खाद्य सामग्रियों की अहम भूमिका रही है बदलते दौर में शुद्ध वातावरण में बदलाव आए है तो वही खाद्य सामग्रियों की शुद्धता मिलावट खोरों के ज्यादा मुनाफे की भेंट चढ़ गई है परिणाम ये हुआ आज मानव सैकड़ो बीमारियों के साथ डाक्टरो की दहलीज पर खड़ा होकर अपनी मशीनरी को फिर से सुचारू रूप से चलाने के लिए गुहार लगाता हुआ दिखता है ।
परन्तु अब मानव मशीनरी का फिर से सुचारू रूप से कार्य करना मुश्किल से होता दिख रहा है ऐसी कोई भी खाद्य सामग्री नही बची है जिसमे मिलावट ना हो घी, तेल,दूध,दही,मिठाई,खोया ये सब नाम तो उंगलियो पर गिनाए जा सकते है ऐसी कई सामग्रिया है जिनको गिनाने बैठेंगे तो समय का पता ही नही चलेगा ऐसा नही है कि सरकार मिलावटी खाद्य सामग्री को लेकर गम्भीर नही है मिलावट खोरो पर लगाम लगाने के लिए कड़े क़ानून बनाए गए है इसके लिए पूरा एक विभाग बनाया गया है जिसे हम खाद्य विभाग के नाम से जानते है जिसका काम मिलावटखोरों पर लगाम लगाना है सूचना मिलने पर मिलावटखोरों के यहां छापामारी करके मिलावटी पदार्थो के सैम्पल लेकर उसे लैब भेजना सैम्पल में गड़बड़ी पाए जाने पर मिलावटखोर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करना है ।
परन्तु होता है इसके उलट खाद्य विभाग छापामारी तो करता है सैम्पल भी लेता है लेकिन कार्यवाही के नाम पर सैम्पल रिपोर्ट आने का लालीपाप देकर अपना पल्ला झाड़ लेता है अब इसे मिलावटखोरों की तगड़ी सेटिंग नही तो और क्या कहेंगे खाद्य विभाग की छापामारी के बाद भी उनकी दुकान धड़ल्ले से चलती रहती है ।
जबकि नियमानुसार खाद्य विभाग किसी मिलावटखोर के यहां छापामारी करता है अगर उसे खाद्य पदार्थ में गड़बड़ी नजर आती है तो नमूने लेने के बाद उस घटिया सामग्री को नष्ट कर देना चाहिए जिससे मिलावटखोर घटिया सामग्री मार्केट में सप्लाई ना कर सके और नमूनों को लैब में टेस्टिंग के लिए भेजना देना चाहिए जिसकी रिपोर्ट 15 दिन में पूरी करके मिलावटखोर के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करना चाहिए लेकिन पिछले साल खाद्य विभाग की कार्यशैली देखकर ये प्रतीत होता है कही ना कही खाद्य विभाग की कृपा दृष्टि है इन मिलावटखोरो पर तभी ये दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे है बिना किसी भय के और नागरिकों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे है।
झिलाही बाजार,मनकापुर बाजार,स्टेशन चौराहा,पील खाना चौराहा,सरयू सिंह गुमटी चौराहा,निर्मल नगर चौराहा,मछली बाजार,बल्लीपुर,मसकनवा बाजार सहित अन्य चौराहों व कस्बो में खुले दुकानों पर जमकर मिलावटी समान बेचा जा रहा है होटलो पर तो समोसा टिकी मिठाइयां में व परचून की दुकानों पर कोई ऐसी जगह नही जहाँ मिलावट न होती हो किन्तु विभाग जांच व कार्यवाही के नाम पर महज खानापूर्ति ही करता है ।सरकार को इस गम्भीर मामले में समीक्षा करनी चाहिए क्यों यह आम नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़ा मामला है ।
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