अखिलेश्वर तिवारी
बलरामपुर ।। जिला मुख्यालय के महारानी लाल कुंवारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय सभागार में शनिवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ किया गया संगोष्ठी असंतुलित पर्यावरण से होने वाले स्थानीय समस्याओं को लेकर आयोजित की गई जिसमें देश के विभिन्न अंचलों से आए हुए पर्यावरणविद तथा विद्वानों ने ग्लोबल वार्मिंग पर चिंता व्यक्त की । सभी ने माना कि तीव्र गति से पर्यावरण में हो रहे बदलाव भविष्य के लिए बड़ा खतरा उत्पन्न कर रहे हैं । यदि समय से इस पर चेता नहीं गया तो मानव जीवन सहित सभी जीव जंतुओं के लिए बड़ा खतरा उत्पन्न हो जाएगा ।
एमएलके कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉ देवेंद्र चौहान ने बताया कि राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रबंध समिति के सचिव कर्नल आरके मोहंता ने किया । संगोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि समन्वयक पर्यावरण विज्ञान लखनऊ विश्वविद्यालय प्रोफेसर योगेश कुमार शर्मा, मुख्य वक्ता आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर संदीप सिंह तथा विशिष्ट अतिथि संयुक्त सचिव बीके सिंह, प्राचार्य डॉक्टर एनके सिंह, पूर्व प्राचार्य डॉक्टर आरके सिंह, मुख्य नियंता डॉ पी के सिंह, पूर्व डीएन सिद्धार्था विश्वविद्यालय डॉक्टर ए के सिंह व सुआक्ट अध्यक्ष डॉ एके द्विवेदी ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के उपरांत दीप प्रज्वलित कर राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया । गोष्टी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता प्रोफेसर संदीप सिंह ने प्राचीन काल से वर्तमान काल तक वातावरण में हुए तापमान परिवर्तन के विषय में विस्तार से व्याख्यान दिया ।
उन्होंने कहा कि वैश्विक प्रभाव के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं और पर्यावरण असंतुलन का खतरा उतनी ही तेजी से बढ़ता जा रहा है जो भविष्य के लिए चिंता का विषय है । इस पर समय से नियंत्रण करना नितांत आवश्यक है । मुख्य अतिथि प्रोफेसर शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि तेजी से हो रहे पर्यावरण असंतुलन को जागरूकता के द्वारा रोका जा सकता है ।
उन्होंने ग्रीनहाउस गैस के दुष्प्रभाव कारणों तथा रोकथाम पर विस्तार से जानकारी दी । सभा अध्यक्ष कर्नल मोहंता ने प्राकृतिक संसाधनों के सदुपयोग वह महत्व पर विस्तार से चर्चा की । सभी ने समय रहते पर्यावरण असंतुलन को रोकने पर जोर दिया । संगोष्ठी में जोर दिया गया कि जन जागरूकता और जन सहभागिता से ही पर्यावरण असंतुलन को रोका जा सकता है ।
पर्यावरण असंतुलन रोकने के लिए सबसे कारगर व सटीक उपाय हरित क्रांति ही है । इसके लिए जरूरी है कि अधिक से अधिक पेड़ पौधों को लगाया जाए । संगोष्ठी में मोइनुद्दीन अंसारी, डीडी तिवारी, प्रखर त्रिपाठी, प्रोफेसर राजेंद्र सिंह, अजय सिंह, डॉक्टर आलोक शुक्ला, राजन सिंह, श्रीप्रकाश मिश्र, डॉक्टर पंकज श्रीवास्तव, डॉक्टर सुनील मिश्रा, डॉक्टर के के सिंह, अभिषेक सिंह, आनंद बाजपेई व चंद्रभान सहित केरल, बिहार, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र तथा पोर्ट ब्लेयर प्रदेशों के तमाम विद्वान मौजूद थे ।
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