अमरजीत सिंह
अयोध्या ब्यूरो । एक चर्चा अयोध्या में जोरशोर से हो रही है। क्या राममंदिर मुद्दा का हल सुप्रीम कोर्ट से जल्द निकलने की सम्भावनाओं की वजह से लल्लू सिंह को केन्द्र सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है। अयोध्या में राममंदिर से जुड़े कई संत इस मांग को जोरशोर से उठा रहे है। संघ तथा विहिप से संतो के द्वारा इसके समर्थन में पैरवी भी की जा रही है। राममंदिर का मुद्दा 2022 में यूपी की दिशा बदलने वाला साबित होगा। ऐसे में अयोध्या से केन्द्र सरकार के मंत्रीमंडल में प्रतिनिधित्व यहां की जनता में उत्साह वर्धन के साथ मुद्दे को नेशनल व इंटरनेशनल पटल पर रखने में सहायक होगा।
सांसद लल्लू सिंह का राममंदिर आन्दोलन की शुरुवात से जुड़ाव रहा है। फैजाबाद लोकसभा की सीट विहिप की मानी जाती है। विहिप हमेशा लल्लू सिंह के साथ खड़ी नजर आती है। अयोध्या में कारसेवकपुरम को विहिप मुख्यालय कहा जाता है। मंदिर के आन्दोलन की रणनीति सदा यही से बनती रही है। कभी यहां से लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले विनय कटियार पर आन्दोलन को चलाने की जिम्मेदारी थी। अब आन्दोलन की आवश्यकता नहीं है। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद सबको साथ लेकर चलने तथा अयोध्या समेत अगल बगल के इलाकों में समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता है। लल्लू सिंह इसमें माहिर माने जाते है। ऐसा माना जाता है कि लल्लू सिंह के व्यक्तिगत व्यवहार की वजह से कुछ मुस्लिम वोट भी उनके खाते में जाते है। ऐसे में अगर अयोध्या में केन्द्र सरकार के मंत्रिमंडल का प्रतिनिधित्व होगा तो उसके सबको साथ लेकर चलने से समाज में एक अच्छा संदेश जायेगा। अयोध्या के संतो के माध्यम से इस भी प्रकरणों को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष रखा जा रहा है।
सांसद लल्लू सिंह इससे पहले भाजपा की उत्तर प्रदेश की सरकार में उर्जा राज्यमंत्री रह चुके है। पांच बार विधायक व दो बार सांसद चुने जाने के कारण यूपी सें बड़े चेहरे के रुप में उनकी गिनती होती है। प्रदेश में वह कई शीर्ष पदो की जिम्मेदारी भी सम्हाल चुके है। चुनावी सभाओं से लेकर पहले आने वाले केन्द्र व प्रदेश सरकार के मंत्रियों द्वारा उनकी वरिष्ठता मंच से स्वीकार की गयी है।
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