आलोक बर्नवाल
संतकबीरनगर। हर वर्ष डायरिया से होने वाली मौतों को रोकने के संकल्प के साथ जिले में मंगलवार को दस्त नियन्त्रण पखवाड़े का शुभारम्भ जिला संयुक्त चिकित्सालय में किया गया। नगर पालिका परिषद खलीलाबाद के अध्यक्ष श्यामसुन्दर वर्मा ने फीता काटकर तथा एक बच्चे को ओआरएस का घोल पिलाकर इस अभियान का शुभारम्भ किया।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ हरगोविन्द सिंह के निर्देश पर संक्रामक रोग के प्रभारी अधिकारी डॉ. ए.के. सिन्हा के नेतृत्व में इस अभियान का शुभारम्भ पूरे जनपद में किया गया। डॉ. ए.के. सिन्हा ने बताया कि यह अभियान आगामी 9 जून तक पूरे जनपद में चलाया जाएगा। बुधवार से पूरे जनपद के गांव गांव में आशाएं जाकर जिंक की गोलियों और ओआरएस का वितरण करेंगी। जिस परिवार में कोई 5 साल तक का बच्चा हो, उस घर में ओआरएस के पैकेट तथा जिंक की 14 गोलियां दी जाएंगी।
इस अभियान के शुभारम्भ के दौरान संयुक्त जिला चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ पंकज टंडन, मृत्युन्जय गुप्ता, हास्पिटल मैनेजर डॉ अबरार, डीपीएम विनीत श्रीवास्तव, यूनीसेफ के डॉ बेलाल अनवर, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ आर पी राय के साथ ही अन्य लोग उपस्थित रहे।
इस तरह करें जिंक गोली का सेवन
जिंक की गोली दस्त आने पर दी जानी चाहिए। 2 माह से 6 माह तक के बच्चों को जिंक की आधी गोली देनी चाहिए। इसके साथ ही आधी गोली तुरन्त फेंक देनी होगी। 6 माह से उपर तथा 5 साल तक के बच्चे को एक गोली देनी होगी।
ऐसे बनाएं ओआरएस घोल
ओआरएस का घोल बनाने के लिए पहले हाथ साफ कर लें। इसके बाद 1 लीटर पानी में ओआरएस का पूरा पैकेट डाल दें। गिलास से उसे घोल लें। तत्पश्चात उसे ढककर रख दें। 24 घण्टे तक उपयोग करने के बाद बचे हुए ओआरएस घोल को फेंक दें। बरसात के दौरान पानी को गर्म करके ठण्डा कर लें और उस पानी में ओआरएस घोल बनाएं।
हर घण्टे होती है तीन शिशुओं की मौत
एसआरएस 2016 के आकड़े यह बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में डायरिया के चलते हर साल लगभग 25 हजार व हर घण्टे 3 शिशुओं की मौत डायरिया के चलते होती है। डायरिया नवजात मृत्यु दर के कारणों में से एक है और एनएफएचएस- 4 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 15 प्रतिशत बच्चे डायरिया से ग्रसित हैं। ओआरएस और जिंक की उपयोगिता मृत्यु दर को कम कर सकती है।
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