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सभी स्वास्थ्य कर्मी अपने कार्य एवं व्यवहार में सुधार लाये - डीएम



संतकबीरनगर। जननी सुरक्षा योजना में जिले में लाभार्थी माताओं एवं आशाओं का मानदेय के भुगतान की स्थिति खराब है। वर्ष  2017-18 की तुलना में वर्ष 2018-19 में जिला अस्पताल एवं सी0एच0सी0 में प्रसव की संख्या कम हो गयी है। परिवार नियेाजन में जिले में मात्र 1 प्रतिशत की उपलब्धि है। जिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने स्वास्थ्य सेवाओं की इस स्थिति पर असंतोष व्यक्त करते हुए सुधार करने का निर्देश दिया है। 
कलेक्टेट सभागार में जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में जिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने सभी अधिकारियों को बेहतर तालमेल स्थापित करके स्वास्थ्य सुविधायें जन सामान्य को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि शासन द्वारा जिले के दूरदराज के क्षेत्र तक लोगो को स्वास्थ्य सुविधायें दी जा रही है। क्षेत्रीय अधिकारियों/कर्मचारियों का यह दायित्व है कि वे इन्हें सभी जरूरतमंद तक पंहुचायें। जिलाधिकारी ने कहा कि सभी स्वास्थ्य कर्मी अपने कार्य एवं आचर में सुधार लाये। अपने तैनाती स्थल पर उपलब्धता बनाये रखें। बैठक में ही प्रभारी चिकित्साधिकारी द्वारा बताया गया कि आशाओं को जिला अस्पताल में प्रसव करान के बाद प्रमाण पत्र नही दिया जाता है और इसके लिए कई बार बुलाया जाता है। जिलाधिकारी ने इस स्थिति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सी0एम0ओ0 को जांच कर दोषी के विरूद्ध कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि शासन द्वारा जिले की सभी ए0एन0एम0 को आॅनलाइन सूचना दर्ज करने के लिए एक-एक टैबलेट दिया गया है। सभी ए0एन0एम0 को इसकी ट्रेनिंग भी दी गयी है। उन्हें इसका लाभ सूचनायें भेजने में करना चाहिए। यदि वे समय पर सही सूचना आॅनलाइन उपलब्ध करा दे तो जिला स्तर पर समीक्षा करके सुविधाओें को बेहतर बनाया जा सकेगा। उन्होंने निर्देश दिया कि प्रत्येक स्वास्थ्य उपकेन्द्र को 10-10 हजार रू0 दिये जा रहे है। सभी उप केन्द्र से इसके खर्च का व्योरा मगाया जाये। समीक्षा में उन्होंने पाया कि धनराशि दे दी गयी है परन्तु व्यय विवरण उपलब्ध नही है। दस हजार रू0 ग्राम प्रधान एवं ए0एन0एम0 के संयुक्त खाते में भेजा जा रहा है। 
उन्होंने निर्देश दिया कि प्रत्येक आशा अपने क्षेत्र के 30 वर्ष आयु से अधिक महिला पुरूष का स्क्रीनिंग करायें। इसके लिए उन्हें एक हजार रूपये का मानदेय दिया जायेगा। स्क्रीनिंग कराने से लोगों की विमारियों की समय रहते जानकारी होगी तथा समय से उनका इलाज हो सकेगा। यह भी एक महत्वपूर्ण सुविधा है। 
बाल मृत्यु का होगा सोशल आॅडिटः- शासन के इस नये निर्देश की जानकारी देते हुए डा0 अरविन्द पाण्डेय ने बताया कि जिले में मरने वाले बच्चों का भी डाक्टर की टीम द्वारा सोशल आडिट किया जाएगा ताकि मृत्यु के कारण की सही जानकारी हो सकें। गर्भवती महिलाओं का होगा अल्ट्रासाउण्डः शासन के नए निर्देश के क्रम में अब प्रत्येक गर्भवती महिला का पूरे प्रसव काल में एक बार सरकारी खर्च पर अल्ट्रासाउण्ड कराया जाएगा। सी0एच0सी0, पी0एच0सी0, जिला अस्पताल पर आने वाली गर्भवती महिलाओं को डाक्टर द्वारा निजी अल्ट्रासाउण्ड सेन्टर पर रेफर किया जाएगा। इसके लिए सेन्टर को 300 रू0 प्रति केस का भुगतान किया जाएगा। 
ग्राम प्रधानों का सम्मेलनः- जिले में संचालित समस्त स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी देने, जागरूकता लाने तथा सुधार के दृष्टिकोण से शी्रघ ही जिले के सभी ग्राम प्रधानों का एक सम्मेलन कराया जाएगा। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है कि सी0एम0ओ0 तथा डी0पी0आर0ओ0 तिथि एवं स्थान निर्धारित कर सम्मेलन आयोजित करायें। बैठक का संचालन मण्डलीय अधिकारी डा0 अरविन्द पाण्डेय द्वारा किया गया। बैठक में सी0एम0ओ0 डा0 हरगोविन्द सिंह, डा0 एस0डी0 ओझा, आलोक प्रियदर्शी, सुश्री लक्ष्मी, प्रभारी चिकित्साधिकारी गण तथा विभागीय अधिकारीगण उपस्थित रहें।

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