सुरेश कुमार तिवारी
मोतीगंज, गोण्डा। मुजेहना ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम सभा दुर्जनपुर में लगभग 4 माह पहले बने गौ आश्रय केंद्र में वैसे तो 100 पशुओं के रखने की व्यवस्था है, लेकिन मौजूदा समय में 15 से 20 पशु ही वहां मौजूद हैं। इसकी वजह जिम्मेदारों की हीलाहवाली और कार्यों के प्रति बरती जा रही घोर लापरवाही है, जिसका खामियाजा क्षेत्रीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
छुट्टा पशुओं के लिए योगी सरकार चाहे जितने प्रयास कर ले लेकिन जिम्मेदार उसकी मंशा को पलीता लगाने से बाज आने वाले नहीं हैं। मुख्यमंत्री जहां छुट्टा पशुओं को लेकर सख्त आदेश जारी कर चुके हैं और इसके लिए गौ आश्रय केंद्रों की स्थापना भी की जा रही है, वहीं जिम्मेदारों की कार्यों के प्रति बरती जा रही घोर लापरवाही, खाऊ कमाऊ नीति तथा भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा मुख्यमंत्री की मंशा पर कुठाराघात कर रही है। ताजा मामला ग्राम पंचायत दुर्जनपुर में बने गौ आश्रय केन्द्र का है।
यहां व्याप्त अव्यवस्था और भ्रष्टाचार की बराबर मिल रही शिकायतों की हकीकत जानने के लिए यह संवाददाता गौ आश्रय केन्द्र पर पहुंचा तो वहां का नजारा स्तब्ध कर देने वाला था। गौ आश्रय केन्द्र पूरी तरह अव्यवस्थाओं के मकड़जाल में उलझा हुआ दिखाई दिया। पशुओं के चारे की पर्याप्त व्यवस्था न होने के साथ ही पीने के लिए पानी का भी अकाल नजर आया। गौ आश्रय केन्द्र के पास मौजूद तमाम लोगों ने बताया कि यहांं पर अगर पशु छोड़ने के लिए लाओ तो यहां मौजूद गौ आश्रय केंद्र की देख रेख करने वाले कार्यकर्ता बेइज्जत करते हैं और भगा देते हैं।
कहते हैं कि हमारे यहांं कोई व्यवस्था नहीं है। हम लोगों को एक पशु के चारे के लिए सिर्फ 30 रूपये ही मिलता है। वह भी बराबर नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में 10-20 पशुओं से अधिक हम नहीं रख सकते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गौ आश्रय केन्द्र पर मौजूद लोगों द्वारा कहा जाता है कि प्रधान अपनी जेब से गौ आश्रय का खर्च चलाते हैं। अगर हमें विभाग पैसा देगा तो हम जन्माष्टमी के बाद से पशुओं को यहां रखना शुरू कर देंगे। इस गौ आश्रय केंद्र में पशुओं के पीने के लिए पानी का व्यवस्था भी नहीं है।
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