तरीकत हुसैन
लोहरौली,संतकबीरनगर। ईद उल अजहा का पर्व त्याग, बलिदान और खुदा से बेपनाह मोहब्बत करने की सीख देता है। यह पर्व इस्लामी कैलेंडर के माह जिलहिज्जा की दसवीं तारीख को अल्लाह के पैगम्बर हजरत इब्राहीम खलीलुल्लाह की याद में मनाया जाता है। आल इंडिया उलेमा बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष शोएब अहमद नदवी ने बताया कि अल्लाह ने हजरत इब्राहीम खलीलुल्लाह का इम्तेहान लेने के लिए उनसे ख्वाब में अपने पुत्र इस्माईल की अल्लाह की राह में कुर्बानी मांगी थी ख्वाब पूरा करने के लिये हजरत इब्राहीम ने दो बार 100 ऊंट की कुर्बानी दी। तीसरी बार अल्लाह के हुक्म से बेटे इस्माईल की गर्दन पर छुरी चलाई लेकिन फरिश्ते जिब्राइल ने इस्माईल को बचा लिया और उनकी जगह दुम्बा यानि भेड़ जबह हो गया। उन्होंने कहा कि ईद उल अजहा आपसी भाईचारे तथा अल्लाह की राह में सब कुछ न्योछावर करने की तालीम देता है। इस त्योहार को पूरी लिल्लाहियत व खुलूस नीयत के साथ मनायें। उन्होंने कहा कि कुरबानी में एहतियात बरतें। साफ सफाई का ध्यान रखें। नालियों में जानवरों का खून न बहायें। सड़क पर जानवरों की कुर्बानी न करें। प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी न करें।
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