■ जिला अस्पताल के एड्स विभाग में लैब टेक्निशियन हैं सौरभ श्रीवास्तव
■ नौ महीने निरन्तर खाई डाट्स की दवाएं, अब हैं पूरी तरह से स्वस्थ
आलोक बर्नवाल
संतकबीरनगर। टीबी एक असाध्य रोग है। टीबी के मरीजों के सम्पर्क में नहीं रहना चाहिए। इसका इलाज संभव नहीं है। टीबी हो जाए तो किसी को बताना नहीं चाहिए। इस तरह की तमाम भ्रान्तियां समाज में व्याप्त हैं। लेकिन हम एक ऐसे टीबी चैम्पियन की बात कर रहे हैं जिन्होने नौ महीने तक टीबी की दवा के कोर्स को बिना एक दिन काम से छुट्टी लिए हुए पूरा किया, बल्कि अब स्वस्थ होकर खुद लोगों को टीबी से लड़ने का संबल दे रहे हैं। हम बात कर रहे हैं जिला चिकित्सालय संतकबीरनगर के एड्स विभाग में तैनात लैब टेक्निीशियन सौरभ श्रीवास्तव की जो टीबी से मुक्ति के लिए डाट्स का आभार जताते नहीं थकते हैं।
मूल रुप से बुन्देलखण्ड के बांदा जनपद के मूल निवासी सौरभ श्रीवास्तव जो जिला अस्पताल के एड्स कण्ट्रोल विभाग में लैब टेक्निीशियन के तौर पर कार्यरत हैं। 39 वर्षीय सौरभ बताते हैं कि दिसम्बर 2018 में अचानक उनका वजन 9 किलो कम हो गया, भूख लगनी बन्द हो गई, हमेशा थकान होती थी। इसमें लक्षण एचआईवी और टीबी दोनों के ही थे। सौरभ ने बताया, ‘इसलिए मैने अपनी दोनों ही जांचे जिला अस्पताल में कराई। जांच में यह पता चला कि गले में टीबी की गांठें बन गई हैं। इसके बाद मैं जिला क्षय रोग अस्पताल में गया। चिकित्सकों से परामर्श लेकर नियमित तौर पर दवाएं खाने लगा। इस दौरान मैंने निरन्तर अपना काम करते हुए दवाएं खाई। सितम्बर माह में मैं टीबी से पूरी तरह से मुक्त हुआ हूं। वे आगे बताते हैं कि जबसे मुझे टीबी हुई, तबसे टीबी मरीजों के प्रति लगाव भी बढ़ गया। जब भी मैं अस्पताल में दवा की डोज लेने जाता था, या फिर जिला अस्पताल में स्थित एमडीआरटी सेण्टर की तरफ जाता हूं तो टीबी मरीजों को यह सलाह जरुर देता हूं कि वे टीबी की दवा निरन्तर खाएं।‘ उनका कहना है कि टीबी की दवा में एक दिन का भी गैप न करें। रोगी की तरह से बैठ न जाएं। मुंह पर मास्क लगाकर निरन्तर अपना काम भी करते रहें। हां इलाज के दौरान तथा टीबी ठीक होने के बाद भी ऐसा कोई भी भोजन या कार्य न करें जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो। टीबी के लक्षण शरीर में दिखें तो शर्माएं नहीं, न ही संकुचित सोच रखें। सीधे जाकर जांच करा लें, अगर टीबी की बीमारी सामने आती है, तो तुरन्त इसका इलाज कराएं।
ये लक्षण दिखे तो जरूर करा लें जांच
अगर आपके अन्दर इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो आप जरुर टी. बी. की जांच करा लें। इन 6 तरह के लक्षणों को कतई नजरंदाज न करें। दो सप्ताह या उससे अधिक समय से खांसी आना। खांसी के साथ बलगम व बलगम के साथ खून आना। वजन का घटना। बुखार व सीने में दर्द, शाम के समय हल्का बुखार होना। रात में बेवजह पसीना आना। भूख कम लगने जैसी समस्या है तो अवश्य ही अपनी जांच करा लें। जांच के उपरान्त समय पर इलाज हो जाने से टीबी ठीक हो सकता है।
पूरीतरह से निशुल्क है टीबी की जांच व इलाज
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एसडी ओझा बताते हैं कि टीबी की जांच व इलाज पूरी तरह से निशुल्क है। हमारे सभी ब्लाक सीएचसी व पीएचसी पर जांच की सुविधा उपलब्ध है। लक्षण दिखें तो तुरन्त हमारे नजदीकी केन्द्र पर जांच करा लें। इस समय कुल 16 माइक्रोस्कोपिक जांचकेन्द्र तथा जिला क्षय रोग कार्यालय पर सीबीनाट जांच केन्द्र है। वर्तमान में क्षय रोगी खोजी अभियान भी चल रहा है। गांव की आशा से भी कहेंगे तो वह जांच करा देगी।
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