■ 36 हजार बच्चों की जिले की 18 टीमों ने किया नामांकन
■ 2415 बच्चों को विभिन्न प्रकार के रोगों से पाया ग्रस्त
आलोक बर्नवाल
संतकबीरनगर। जिले में चल रही राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ( आरबीएसके ) टीम ने अब तक 1909 बच्चों को नया जीवन दिया है। इन बच्चों के विभिन्न बीमारियों की निशुल्क जांच की गई। साथ ही साथ उनका इलाज भी कराया गया। समय रहते अगर इनका इलाज नहीं होता तो बीमारी गंभीर हो जाती। ऐसी स्थिति में जीवन बचाना संभव नहीं होता।
आरबीएसके टीम के डीईआईसी मैनेजर पिण्टू कुमार ने बताया कि वर्तमान सत्र में जिले के 9 ब्लाकों में आरबीएसके की कुल 18 टीमें कार्यरत हैं। इन टीमों ने 1 अप्रैल 19 से 30 सितम्बर तक 36,258 बच्चों को अपने यहां नामांकित किया। इनमें से 22, 667 बच्चों की स्क्रीनिंग कर ली गई है। स्क्रीनिंग के दौरान यह पाया गया कि 2415 बच्चे विभिन्न प्रकार के रोगों से ग्रसित हैं। इनमें से 1909 बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं। जबकि शेष बच्चों के इलाज की प्रक्रिया चल रही है। इनमें से तकरीबन 23 बच्चे तो ऐसे हैं जिन्हें गंभीर हृदय रोगों के इलाज के लिए लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कालेज भी भेजा गया है। यह सुविधा पूरी तरह से निशुल्क है। बच्चों को विभिन्न अस्पतालों में आने जाने की सुविधा भी लाइफ सपोर्ट एम्बुलेन्स के जरिए कराई जाती है। खलीलाबाद के भेडि़या उर्फ बकरिया गांव के निवासी बबलू का कहना है कि उनके दो बच्चे गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं। इन दोनों का निशुल्क इलाज आरबीएसके के द्वारा ही संभव हो सका। अन्यथा मैं इलाज कराने में सक्षम नहीं था। एसीएमओ आरसीएच डॉ मोहन झा का कहना है कि अब इसमें टीबी तथा कुष्ठ रोग को भी शामिल कर लिया गया है। बच्चों को पूरी तरह से स्वस्थ रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। टीम के लोग मेहनत से काम कर रहे हैं।
44 प्रकार के रोगों का इलाज
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत टीबी और कुष्ठ रोग साथ ही न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, क्लैप फुट,जन्मजात मोतियाबीन, जन्मजात गूंगापन, जन्मजात हृदय रोग, रेटीना दोष, डाउन सिन्ड्रोम, कूल्हे का खिसकना एवं क्लैप पैलट, कुपोषण, विटामिन सी की कमी, दांतो की बीमारियों, कानों सम्बन्धित बीमारियों के साथ 44 प्रकार के रोगों की खोज करने के साथ ही बीमारियों के इलाज की व्यवस्था की जाती है।
ऐसे कराएं इलाज
आरबीएसके के डीईआईसी मैनेजर पिण्टू कुमार बताते हैं कि अगर कोई बच्चा 44 तरह के रोगों से पीडि़त हो और उसकी उम्र शून्य से 19 वर्ष तक है और उसके रोग का पता चल जाता है तो तुरन्त ही सम्बन्धित ब्लाक चिकित्सालय की आरबीएसके टीम से सम्पर्क करें या फिर जिला मुख्यालय पर स्थित आरबीएसके कार्यालय पर सम्पर्क करें। वहां से उन बच्चों को सम्बन्धित ब्लाक की टीम को सुपुर्द कर दिया जाएगा। जिनका वे इलाज कराएंगी।
*‘आरबीएसके टीम के द्वारा विभिन्न प्रकार के जन्मजात रोगों के साथ ही टीबी और कुष्ठ रोग का इलाज निशुल्क किया जाता है। बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सुविध देने की जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए आरबीएसके टीम बेहतर कार्य कर रही है। अभी पिछले दिनों ही हृदय रोग के इलाज के लिए 13 बच्चों को केजीएमसी भेजा गया है।‘*
डॉ हरगोविन्द सिंह
सीएमओ
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