गोशालाओं में अव्यवस्था के चलते हर माह लाखों का चूना लगा रहे हैं जिम्मेदार | CRIME JUNCTION गोशालाओं में अव्यवस्था के चलते हर माह लाखों का चूना लगा रहे हैं जिम्मेदार
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गोशालाओं में अव्यवस्था के चलते हर माह लाखों का चूना लगा रहे हैं जिम्मेदार


■ साहब के रहमों करम पर कब तक चलता रहेगा गड़बड़झाला ?

बनारसी चौधरी
बेलहर, संतकबीरनगर। सरकार द्वारा संचालित गोआश्रय केन्द्रों में आव्यबस्थाओं का बोल बाला है। पशुओं को चारें के नाम पर सिर्फ सूखा भूसा ही दिया जा रहा है। विभागीय अधिकारी भी इसके प्रति गंभीर नहीं है।
      प्रदेश सरकार घूमंतू पशुओं के देख रेख और चारे के लिए लाखो रूपए प्रति माह खर्च कर रही है। यह प्रबन्ध पशु आश्रय केन्द्रों के माध्यम से किया जा रहा है। इसके बावजूद बेलहर क्षेत्र के गोशालाओं में आव्यबस्था फैली हुई है। शुक्वार को बेलहर क्षेत्र के भगौसा, भेलाखर्ग और लोहरौली आश्रय स्थल की पडताल की गई। तीनों ही गोशालाओं मे नाम मात्र की ब्यवस्था मिली। बात लोहरौली में स्थित गोशाला की करे तो वहा मात्र 16 पशु ही बंधे मिले उनके आगे चारा नही था। जानकारी की गई तो पता चला कि गाये खा चुकी है अब कुछ देर बाद दिया जाएगा। भगौसा में 17 पशु मौजूद थे लेकिन उसमें से 6 पशुओं को टैग नही लगा हुआ था। कुछ लोगो की माने तो यहा मौजूद बगैर टैग के पशु गांव के एक ब्यक्ति का है। यहा भी नाद खाली पडी हुई थी पूछने पर गो सेवक ने बताया कि भूसे की ब्यवस्था की गई है। भेलाखर्ग में स्थित आश्रय केन्द्र की स्थिति भी खराब ही मिली यहा सिर्फ 11 पशु ही मौजूद मिले और उनके सामने सिर्फ सूखा भूसा ही परोसा गया था। इन केन्द्रों पर बडे पशु बहुत कम ही मौजूद है ज्यादातर छोटे पशुओं को ही बांध कर संचालन किया जा रहा है।

पानी की टंकी जहां है वह भी है खाली

बेलहर क्षेत्र में स्थित गोआश्रय केन्द्र भेलाखर्ग में अभी तक पानी की टंकी का निर्माण तक नही हुआ। इसके अलावा लोहरौली और भगौसा में बने तो हैं लेकिन वह भी खाली ही रहता है। गोसेवकों ने बताया सादा हैण्डपंप से टंकी भरना संम्भव नही है। मोटर की ब्यवस्था किसी भी केन्द्र पर नही है जिसके कारण पशुओं को पानी पीने के लिए काफी दिक्कत होती है। सरकार के लाख फरमान के बाद भी अधिकारी और कर्मचारी अपने मनमाने रवैये पर कायम हैं।यह अधिकारी समस्याओं को दूर करने का प्रयास ही नही कर रहें हैं।

तीन माह में मर चुके है 12 पशु

बेलहर क्षेत्र में मौजूद आश्रय केन्द्रों मे अब तक एक दर्जन पशु मर चुके हैं। लोहरौली में 5,कैथवियां में 4, औरहिया मंझरियां में 2, और भगौसा एक पशु की मौत हो चुकी है।यह आंकडे सरकारी हैं पर ग्रामीणों के अनुसार दो दर्जन से अधिक पशुओं की मौत हो चुकी है पर कर्मचारियों द्वारा पशुओं के मरने के बाद उसके स्थान पर दूसरे पशु को लाकर बांध दिया जाता है। ग्रामीणों ने बताया जब पशु आते है तो हष्ट पुष्ट रहते है पर धीरे धीरे वह कमजोर हो जाते हैं।
क्षेत्र में संचालित गौशालाओं में। गोसेवकों की माने तो। पशुओं के परिसर में दफन करने के कारण बिमारिया फैलने का खतरा रहता है और हर माह में जानवर मर भी रहें है फिर भी अधिकारी और कर्मचारी इस पर ध्यान नही दे रहें हैं।

बीडीओ का जवाब गोलमटोल

इस बारे में जानकारी लेने के लिए बीडीओ बेलहर महाबीर सिंह से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने पहले तो कहा इस विषय पर मिलकर बात करिए उसके बाद फोन किसी और को दे दिया और उनके जगह पर वह ब्यक्ति बात करते हुए पानी पिलाए जाने की बात कही पर अब सवाल यह उठता है कि जब जजिम्मेदार अधिकारी ही अपने जिम्मेदारी से पल्ला झाड रहा है तो और कोई क्या करेगा.? यह सब सरकार की मंशा को तार तार कर रहें हैं।

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