बीडीओ को सफाईकर्मियों से नदी की स्वच्छता का दिया गया आदेश : एसडीएम
ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। एक तरफ पूरे देश में स्वच्छता अभियान, तो दूसरी ओर सरयू नदी के अस्तित्व पर लगातार खतरा मंडरा रहा है। पवित्र सरयू नदी की आस्था पर हर वर्ष सैकड़ों मूर्तियों के विसर्जन से नदी की गहराई कम होने के साथ ही प्रदूषण व गन्दगी भारी पड़ रही है। लगातार छह माह से प्रत्येक सप्ताह रविवार को अलग-अलग सामाजिक संगठनों द्वारा सरयू नदी की सफाई अभियान की मुहिम मात्र एक दिन में फेल हो गई।
छह माह से सरयू नदी का सफाई कार्य चलाया गया। बुधवार को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के बाद सरयू नदी एक बार फिर गंदगी से पट गई। सरयू की स्वच्छता के लिए प्रशासन या धार्मिक संगठनों ने खामोशी अख्तियार कर ली है। जीवन दायिनी सरयू का अस्तित्व अब खतरे में है। भारी-भरकम खर-फूस, मिटटी, प्लास्टर आफ पेरिस व केमिकल युक्त रंगों से बनीं मूर्तियों के हर वर्ष हो रहे विसर्जन से सरयू नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। यहां प्रति वर्ष सैकड़ों प्रतिमाओं का विसर्जन होता है।
गत वर्ष करीब 330 प्रतिमाओं का विसर्जन सरयू नदी में हुआ था। वहीं इस वर्ष भी करीब 340 से अधिक प्रतिमाओं का विसर्जन हुआ है। एक स्थान की एक प्रतिमा के साथ कम से कम 4 प्रतिमाएं अलग-अलग देवी देवताओं की होती हैं। इस तरह छोटी-बड़ी मूर्तियों की संख्या करीब एक हजार हो जाती है जो सरयू नदी में विसर्जित होती हैं। इन मूर्तियों को खर-फूस व चिकनी मिटटी एवं प्लास्टर आफ पेरिस के लेपन, सुतली, लकड़ी के प्रयोग से बनाया जाता है। ऊपर से मूर्तियों की सुन्दरता के लिए रंगों का भी प्रयोग होता है। ये मूर्तियां नदी में विसर्जित की जाती हैं तथा उसकी मिटटी एवं रंग सरयू के जल में घुल जाने के बाद फूस व लकड़ियां जल में ऊपर तैरने लगती हैं। लकड़ियों को लोग जलाने के लिए उठा ले जाते हैं, मगर शेष सामग्री नदी में ही सड़ कर पानी को दुर्गन्ध युक्त बना देती हैं। नदी का जल प्रदूषित हो जाता है तथा नदी की गहराई भी लगातार कम होती जा रही है। सरयू घाट के आसपास नदी की गहराई कम होने के साथ ही पानी कम हो रहा है या पट चुकी है। सरयू के जल में बहाव भी नहीं है कि उसकी गंदगी बह सके जबकि प्रति दिन सैकड़ों व वर्ष में 6 मेलों का आयोजन होता है जिसमें लाखों श्रद्धालु स्नान करते हैं। गंदगी को लेकर प्रशासनिक अक्षमता के चलते नदी का अस्तित्व खतरे में है।
एसडीएम ज्ञान प्रकाश गुप्ता कहते हैं कि इसके लिए धार्मिक व सामाजिक संगठनों को आगे आना चाहिए। तभी सफाई एवं नदी की स्वच्छता पर विचार किया जा सकता है। फिर भी बीडीओ के माध्यम से सफाई कर्मियों से सफाई कराने के लिए आदेश जारी किए जा रहे हैं।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ