ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। कैंसर से पीड़ित सभाजीत का इलाज कराया गया, लेकिन गरीबी, लाचारी और बेबसी सुरसा की तरह मुंह फैलाए कदम कदम पर खड़ी रही। सामाजिक संस्था इंसानियत द्वारा आर्थिक मदद कर इलाज की पहल की गई लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।
गोण्डा जिले के तरबगंज क्षेत्र के ब्योंदा गांंव निवासी कैंसर पीड़ित सभाजीत रुपयों के अभाव में घर के बिस्तर पर पड़ा था। इसकी जानकारी इंसानियत संस्था को मिली तो सभाजीत के घर जाकर परिजनों को आर्थिक मदद के साथ ही अन्य घरेलू सामाग्री भेंट की गई। आर्थिक सहायता पाकर परिजनों की आंंखों से खुशी के आंंसू छलक पड़े। संस्था द्वारा परिजनों को इलाज आगे भी हरसंभव मदद का भरोसा दिया गया। लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। आखिरकार सभाजीत मौत के मुंह में समा गया।
बताते चलें कि सभाजीत किसी मेहनत मजदूरी करके अपनी बूढ़ी मांं, पत्नी व 4 बच्चों का पेट पालता था, लेकिन उसकी मौत के बाद परिजन टूटकर बिखर गए हैं और उनके सामने विकट समस्या पैदा हो गई है। सभाजीत की पत्नी अपने पति की तेरहवीं करने में भी असमर्थ थे। परिजनों को बेबस देख इंसानियत संगठन के वरिष्ठ सलाहकार चंद्रशेखर दूबे की आंंखें भर आयीं। 12 अक्टूबर को उन्होंने संस्था के सदस्य राजन पाण्डेय, जय प्रकाश ओझा, मोनू चौबे, रवि सिंह, महेश सिंह, आनंद पांडेय, पदमाकर तिवारी व अभिषेक शर्मा को पीड़ित परिजनों के घर भेजकर एक बार फिर नगद रूपये प्रदान कर आर्थिक मदद करके सराहनीय कार्य किया है। समिति के चंद्रशेखर दूबे ने कहा कि समिति का मकसद ही गरीबों की मदद करना है। सेवा से बढ़कर कोई पुण्य का कार्य नहीं होता है।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ