शिवेश शुक्ला
बस्ती :बस्ती में हर साल प्रशासन की तरफ से अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाकर कोरम पूरा किया जाता है. इस बार ये अभियान सिर्फ बस्ती महोत्सव स्थल के आस-पास जमकर चलाया गया. महिला अस्पताल से लेकर इन्द्रा नगर मोड़ तक सड़क के दोनों तरफ के पटरी दुकानदारों पर बुलडोजर चलाकर प्रशासन ने अतिक्रमण हटा कर अपनी पीठ खुद थपथपा ली.
बरसों से ये दुकानदार पटरी पर ही अपनी दुकान लगाते आ रहे है. कभी-कभार अतिक्रमणकारी हटाओं अभियान के तहत इनकी दुकानें हटा दी जाती है. मामला शांत होने के बाद फिर से ये पटरी दुकानदार अपनी जगह काबिज हो जाते है. जिस पर किसी भी जिम्मेदार की निगाह नहीं जाती. जिससे अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हो जाते है. मजे की बात इस बार भी पटरी दुकानदारों पर प्रशासन का चाबुक चला तो सदमें में आये लोग बगले झांकने लगे. आनन-फानन प्रशासन ने सबकी दुकानों को हटवा दिया. मगर इन्द्रा नगर से कम्पनी बाग व महिला अस्पताल से रोडवेज तक के अतिक्रमण को हटाने में प्रशासन ने कोई दिलचस्पी नहीं ली. जिला अस्पताल से रोडवेज तक, गांधी नगर मुख्य बाजार, कटरा तक में कहीं अतिक्रमण हटाओं अभियान का चाबुक नहीं चला।
पुरानी बस्ती से लेकर कम्पनी बाग तक रोज जाम लगता रहता है. जिम्मेदारों की निगाह में ये जाम कोई मायने नहीं रखता. अब तक नगर पालिका प्रशासन द्वारा कई बार स्टैण्ड बनाने की बात कही गयी. अब तक नगर पालिका स्टैण्ड की समस्या पर एक कदम नहीं चल पाया।
हर साल अतिक्रमण हटाओं अभियान के तहत लाखों रूपए फूंक दिये जाते है. इसके बावजूद जिम्मेदार इस समस्या का स्थायी हल नहीं खोज पाते. जिससे आम जनता को रोज जाम की समस्या से जूझना पड़ता है. सबसे बड़ी बात तो ये है की अतिक्रमण हटाओं अभियान की चपेट में बड़े दुकानदार नहीं आते. गांधी नगर इलाके में स्थित बड़े दुकानों के संचालकों पर जिम्मेदारों की कृपा कोई नयी बात नहीं है.
मगर जिस तरह से महोत्सव स्थल के आस-पास अतिक्रमण हटाओ अभियान चला. उसने कई सवालों को जन्म दे दिया है. सवाल उठता है की हजारों लोग जब महोत्सव स्थल पर आयेंगे तो गांधी नगर का मुख्य मार्ग चोक नहीं होगा. पार्किंग के नाम पर प्रशासन अस्थायी हल जरूर कर सकता है. मगर आम शहरी के हिस्से में अस्थायी निदान भी मयस्सर नहीं होगा.



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