आतंकी युसूफ उर्फ मुस्तकीम पर विशेष रिपोर्ट
देश की राजधानी दिल्ली में पकड़े गए आईएसआईएस आतंकी अब युसूफ और मुस्तकीम के सिन्हा पर दिल्ली की क्राइम ब्रांच स्पेशल टीम तथा यूपी एटीएस की टीम ने यूसुफ के गांव बड़ा वैसा ही पहुंचकर गहन छानबीन का पड़ताल की मुस्तकीम से शिनाख्त के आधार पर ही उसके कमरे से विस्फोटक पदार्थ जिंदा बम बम बनाने के तमाम सामग्री तथा 2 जैकेट जिसमें आत्मघाती बम फिट से बरामद किया है। निश्चित रूप से दिल्ली क्राइम ब्रांच पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है, लेकिन इस बीच बलरामपुर पुलिस के कार्यशैली पर बहुत बड़ा सवालिया निशान लग गया है । बरसों से एक आतंकी अपनी गतिविधियों को कोतवाली उतरौला क्षेत्र से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित गांव बढ़या भैसाही में संचालित कर रहा था । यहां तक खबर है कि उसने अपने द्वारा बनाए गए बम का डेमो भी गांव के बाहर बगीचे में किया था, परंतु किसी भी घटना की जानकारी बलरामपुर पुलिस के खुफिया तंत्र को नहीं हुई।
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क्राइम जंक्शन की टीम बढ़या भैसाही गांव पहुंची जहां आतंकी यूसुफ उर्फ मुस्तकीम के घरवालों से बातचीत की । यूसुफ की पत्नी आयशा से बात की गई तो उसने स्वीकार किया कि पिछले कई महीनों से वह अलग अलग तरीके की विस्फोटक बनाया करता था। उसे कई बार मना भी किया लेकिन वह नहीं माना। उसने यह भी कहा की कतर से वापस आने के बाद जब से उसे चोट लगी तभी से वह यूट्यूब देखकर तरह-तरह के सामान बनाने लगा। आयशा ने यह भी बताया कि जब पुलिस उसके घर पहुंची तो उसने तत्काल 2 जैकेट बना कर रखा था बम लगाकर उसमें से एक को बाहर झाड़ में छिपा दिया तथा दूसरा छुपाने का मौका नहीं मिला, जिसे पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया तथा दूसरा जैकेट भी पुलिस ने झाड़ से बरामद कर लिया । घर के अंदर बॉक्स में रखा विस्फोटक तथा बम बनाने के तमाम सामग्री भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया। आयशा का कहना है कि मुस्तकीम पहले बहुत सीधा साधा था परंतु कब कैसे वह इस कार्य से जुड़ा इस बारे में उन्हें भी कोई अंदाजा नहीं है । उन्होंने इस अपराध को संगीन अपराध मानते हुए सरकार से नरमी बरतने की अपील की है ।
क्या कहते हैं आतंकी मुस्तकीम के पिता
हमारी टीम ने आतंकी अब्बू युसूफ उर्फ मोहम्मद मुस्तकीम के पिता कफील से बात की तो उन्होंने बताया कि उनका लड़का पढ़ने लिखने में काफी कमजोर था। इसीलिए वह अपने रिश्तेदारों के सहयोग से पहले सऊदी अरब गया फिर वहां से नौकरी न मिलने के कारण अरब इमारत गया जहां पर टूरिस्ट वीजा पर उसे भेजा गया था और 6 महीने काम करने के उपरांत उसे वापस भारत आना पड़ा। उन्होंने बताया कि कुछ दिन बाद मुस्तकीम काम धंधे के लिए कतर गया, जहां पर गलत वीजा के कारण उसे जेल भी जाना पड़ा। कतर में जेल से छूटने के बाद उसे इंडिया भेज दिया गया । भारत वापस आने के बाद पास के कस्बा हाशिम पारा में कॉस्मेटिक की दुकान करने लगा। दुकान से घर व घर से दुकान उसका दिनचर्या था । बीच-बीच में वह दवा कराने के नाम पर लखनऊ जाने की बात करता था। लखनऊ जाने बाद वह कई दिन तक वहां रुकता था क्योंकि उसके मामा तथा बहन भी लखनऊ में ही रहते हैं । कफील का कहना है कि उसका लड़का मुस्तकीम कब गलत लत से जुड़ गया यह उन लोगों को नहीं मालूम है। घरवालों को नमाज पढ़ने, पर्दे में रहने की नसीहत दिया करता था और खुद इस गलत काम में लिप्त था । इसका विश्वास भी नहीं हो रहा । उन्होंने स्वीकार किया कि मुस्तकीम ने इतना संगीन अपराध किया है तो उसकी सजा तो उसे मिलेगी ही, परंतु कानून व सरकार से अपील है कि उसके बाल बच्चों का ख्याल रख कर के उसके ऊपर कुछ रियायत जरूर बरती जाए।
क्या कहती हैं आतंकी मुस्तकीम की
आईएसआईएस आतंकी युसूफयुसूफ उर्फ मुस्तकीम की मां कहकशा अपने लड़के की करतूत पर खुद को कोसती हुई बताती हैं कि इतना सीधा लड़का इतना गलत काम कैसे करने लगा इसका उन्हें आश्चर्य है । कहकशा रो रो कर कहती हैं कि उसके बाल बच्चे तथा परिवार कैसे आगे बढ़ेंगे। वह लोग उसे कमाने खाने के लिए बाहर भेजते थे। उन्हें नहीं मालूम था कि वह इतनी गलत कार्य में भी कभी पकड़ा जाएगा । कहकशा तो यह भी बताती हैं कि मुस्तकीम को दो रूम का एक सेट दिया गया था । अपने बीवी बच्चों के साथ उस घर में वह क्या करता था इस बात की उन लोगों को कोई जानकारी नहीं है । इतना जरूर जानती हैं कि जब से उसे चोट लगी थी और वह बेड रेस्ट पर था तभी से वह मोबाइल देख देख कर पता नहीं क्या-क्या बनाया और बिगाड़ा करता था। उन्होंने मुस्तकीम के जुर्म को संगीन जुर्म माना है और सरकार तथा कानून से अपील की है कि उसके बाल बच्चों का भी ख्याल रखा जाए।
मुस्तकीम ने अपने बनाए बम का डेमो भी किया था
आतंकी अब यूसुफ उर्फ मुस्तकीम अपने घर में बम बनाने के बाद गांव के बाहर रमजान के पाक महीने में रोजा खोलने के टाइम परीक्षण भी किया था यूसुफ के पड़ोसियों का कहना है कि वह लोग रमजान के महीने में अप्रैल माह में एक दिन शाम को रोजा खोलने के वक्त जोरदार धमाका सुने थे जो गांव के बाहर बगीचे में हुआ था और उस समय तेज गति से कोई चीज ऊपर उड़ी थी तथा चारों तरफ धुआं ही धुआं फैल गया था गांव के लोग कैमरे के सामने तो नहीं आना चाहते हैं फिर भी एक छोटी बच्ची इशारा ने कैमरे के सामने बताया कि एक बार मुस्तकीम डेढ़ 2 फुट का कोई नीले रंग का सामान लेकर जा रहा था जिसे बता रहा था कि उड़ा कर देखना है और कुछ देर बाद बगीचे में तेज धमाका हुआ जिसके बाद चारों तरफ दुआ ही दुआ तथा ऊपर कोई चीज तेज गति से उड़ती हुई दिखाई दी जिसे वह लोग उड़ने वाला कोई सामान समझ सके गांव की ही अलीशा बताती हैं कि मुस्तकीम चिड़िया मारने वाली बंदूक लेकर हमेशा निशाना लगाया करता था और बंदूक लेकर गांव के बाहर बगीचे में जाकर घंटो घंटो बैठकर निशानेबाजी करता था उन्होंने भी अप्रैल माह में धमाके की आवाज सुनी थी परंतु उन लोगों ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि वह इतना बड़ा आतंकी निकलेगा । आश्चर्य की बात तो यह है कि वर्षों तक उतरौला कोतवाली क्षेत्र में आतंकी गतिविधियां चलती रही बम बनाया जाता रहा बम का परीक्षण भी हुआ होता रहा परंतु पुलिस को कानों कान खबर तक नहीं चली इस घटना के बाद बलरामपुर पुलिस की कार्यशैली तथा खुफिया तंत्र पर सवालिया निशान लग गया है ।
यूसुफ के कार्य से आश्चर्यचकित हैं उसके भाई-बहन
आतंकी अब्बू युसूफ के छोटे भाई आकिब से हमारे प्रतिनिधि ने बात की तो उसने बताया कि मुस्तकीम अपने घर में किसी को जल्दी जाने नहीं देता था, उसकी शादी के बाद अपनी पत्नी को काफी पर्दे में रखता था ।इसीलिए हम लोग उसके कमरे में नहीं जाते थे। हम लोगों को जब पता चला कि वह इतने बड़े गतिविधि में संलिप्त था तो काफी दुख हुआ । उसने जो गुनाह किया है उसकी सजा तो उसको मिलनी चाहिए। उसके दो और भाई हैं जिसमें एक है मोहम्मद हबीब जो कतर में रहता है तथा दूसरा हाफिज यह भी कतरकदम में ही रह कर रोजगार कर रहा है । इन सभी की पत्नी व बच्चे इसी घर में रहते हैं जहां पर युसूफ रहा करता था। वही यूसुफ की छोटी बहन मुनीजा बताती हैं कि युसूफ अपने घर में ही मोबाइल देख देख कर पता नहीं क्या-क्या बनाया करता था । कई बार हम लोगों ने पूछा भी परंतु उसने हम लोगों को नमाज पढ़ने कुरान पढ़ने तथा अल्लाह की इबादत करने की बात कहकर चुप करा दी और यह भी कहा कि हम जो भी कर रहे हैं अल्लाह के बताए रास्ते पर चलने का प्रयास कर रहे हैं । हम लोगों को नहीं मालूम था कि उसके दिमाग में क्या क्या चल रहा है ।
आतंकी मोहम्मद मुस्तकीम की जमीनी हकीकत
आतंकी युसूफ उर्फ मुस्तकीम के पिता कफील सीमांत कृषक है और खेती के जरिए ही वह अपने परिवार का लालन पालन भी कर रहे हैं । उन्हें उम्मीद थी की बड़े होकर उनके बच्चे काफी धन अर्जित करेंगे जिससे घर परिवार सुखी होगा। बढ़या भैसाही गांव पहुंचकर जब हमारी टीम ने तहकीकात की तो लगा कि इस गांव के अधिकांश लोग विदेशों अथवा अन्य प्रदेशों में रहकर रह कर धन अर्जन कर रहे हैं । छोटे से गांव में दो मस्जिद एक शर्फ बनाने का कारखाना मौजूद होने से यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि यहां के लोग धन कमाने के लिए काफी अग्रसर थे हैं । यही कारण है कि गांव के अधिकांश घरों के बाहर जाकर तहकीकात की तो महिलाओं के अलावा कोई भी पुरुष दिखाई नहीं दिया। यूसुफ के छत पर चढ़कर हमने पूरे गांव को कैमरे में कैद किया तथा उसके घर के अंदर उसके कमरे का एक-एक सामान को कैमरे में कैद किया है । उसके कमरे में कौन से स्थान पर क्या-क्या बरामद किया गया यह सभी कुछ हमने बताने का प्रयास किया है। सूत्र बता रहे हैं कि उसके कार्य में एक धनाढ्य किसी व्यक्ति का हाथ भी हो सकता है। सारे तथ्य जब जांच में खुलकर सामने आएंगे तो सब कुछ क्लियर हो सकेगा । आतंकी यूसुफ को लेकर स्पेशल ब्रांच की टीम दिल्ली वापस जा चुकी है। इतना सब होने के बावजूद भी ना तो स्पेशल ब्रांच के अधिकारी ने मीडिया से मुखातिब हुए और ना ही जिले का कोई भी पुलिस अधिकारी कुछ भी बोलने के लिए तैयार हुआ। इस पूरे मामले में कहीं ना कहीं बलरामपुर पुलिस की काफी किरकिरी हुई है । बलरामपुर पुलिस की किरकिरी हो भी कैसे ना इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने वाला कई महीनों से उतरौला कोतवाली से कुछ ही दूरी पर स्थित बढ़ाया भैसाही गांव में बम बनाकर उसका प्रयोग भी कर रहा था, परंतु ना तो पुलिस को कुछ कानो कान खबर लगी और ना ही खुफिया विभाग को । यह सारे सवाल हैं जिसका जवाब पुलिस और प्रशासन को देना चाहिए। जनता भी इस बात को जानना चाहती है कि बम का परीक्षण जैसा कार्य इस गांव में किया गया और पुलिस को कुछ पता ही नहीं चला । सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि इस गांव के ही कुछ प्रभावशाली लोगों का जिले के आला अधिकारियों से भी मिलना जुलना रहता है । ऐसे में यदि इतनी बड़ी घटना की जानकारी प्रशासन को नहीं हुई तो यह बहुत बड़ी चूक मानी जाएगी ।
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