दुर्गा सिंह पटेल
मसकनवा गोण्डा।
वन में वृक्षों का वास रहने दो, झील झरनों में सांस रहने दो। वृक्ष होते हैं वस्त्र जंगल के छीन मत ये लिबाज रहने दो। वृक्ष पर घोंसला है चिड़िया का, तोड़ मत ये निवास रहने दो.। हरियाली के सीने पर लापरवाहों का आरा चलने के बाद कवि के मुख से निकली यह पंक्तियां हरे पेड़ों की व्यथा को कहती है।कुछ ऐसी ही व्यथा जिलों के सादुल्लानगर रेंज के चमरुपुर व मद्दों बीट अंतर्गत आने वाले के उन क्षेत्रों हजारों हरे पेड़ों की भी है, जो आए दिन लकड़कट्टों के आरों से गिराए जा रहे हैं। जिले में अवैध कटान तेजी से किया जा रहा जिस पर न तो वन विभाग और न ही पुलिस प्रशासन ही अंकुश लगा पा रहा है। क्षेत्र अब ठूंठ में तब्दील होते जा रहे हैं आर्थिक लाभ के कारण क्षेत्रों पेड़ो का कटना बदस्तूर जारी है। पेड़ों के लगातार कटान से जहां एक ओर पक्षी गान तक शांत हो गया है,वहीं गौरैया के विलुप्त होने के बाद अब आम जीवों की भी बारी आ चुकी है, पर जिम्मेदार खामोश है। जानकारों की माने तो पेड़ों के अंधाधुंध कटान से वातावरण में प्रदूषण घुलता जा रहा है। यदि अब भी न चेते तो वह दिन दूर नहीं सांस लेने के लिए भी लोग आक्सीजन को तरसेंगे।’
अवैध कटान के मामले में सुर्खियों में रहने वाला क्षेत्र
बताने की बात नहीं जिले का वन रेंज सादुल्लानगर क्षेत्र पेड़ो के कटान के मामले अक्सर सुर्खियों में रहता चला आया है क्षेत्र के चमरुपुर व मद्दों बीट के कमालपुर मल्हीपुर,हथियागढ़,ककरघटा,घनश्यामपुर,मसकनवा आदि क्षेत्र में पेड़ कटान के मामले में कई गुना आगे पहुंच गए है। खोडारे क्षेत्र भी इसमें पीछे नहीं है यूकेलिप्ट्स के आड़ में खाकी या वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से पेड़ों का कटान होता ही रहता है।विदित हो कि बीते बृहस्पतिवार को साo रेंज के कुबरी मुबारकपुर जंगल से कुछ ही दूरी पर दर्जनों हरे सागौन के पेड़ को ठेकेदार द्वारा कटवा दिया गया वन दारोग़ा व वन रक्षक को कटान के बारे में जानकारी भी दी गयी लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ लेकिन अब वहां हरे भरे खड़े पेड़ के स्थान पर बचे पेड़ के ठूंठ कटान की गवाह देने व वन विभाग के अधिकारियों के उदासीनता के बारे में उच्चधिकारियों इंतजार में अब भी बचे हैं।पेड़ों का कटान होने से सुनाई देने वाली चिड़ियों की चहचहाहट भी गायब होने लगी है। इतना ही नही शाम होते हैं मसकनवा गौराचौकी मार्ग व मसकनवा बभनान मार्ग पर लकड़ी से लोड पिकअप फर्राटे भरते रहते है लेकिन जिम्मेदार चुप्पी साधे बैठे रहते हैं।यदि क्षेत्रों में वन विभाग की उदासीनता इसी तरह रही तो पेड़ों की संख्या कम होती चली जाएगी और वह दिन दूर नहीं जब न वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड रह जाएगी और न ही उसका शोधन करने को वृक्ष रह जाएंगे।
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