नसीम अहमद खान
महराजगंज। मुकद्दस रमजान महीने का पहला रोजा खत्म होने के साथ दूसरा रोजा चालू हो गया। पाक महीना रमजान को लेकर शहर व गांव में तैयारियां लगभग पूरी हो गई है। बुजुर्ग बच्चों व युवाओं ने रमजान पाक में इस्तेमाल होने वाली हर जरूरी चीजों की खरीदारी करते हुए देखे गए। कोई नए कपड़े खरीदने में मशगूल दिखा तो कोई भिन्न प्रकार की आकर्षक टोपिया खरीदी। रोजा रखने वाले रोजदार उत्साहित नजर आए। दुकानों पर लोगों की भीड़ भी दिखने लगी। मदरसा अनवारूल उलूम मिश्रौलिया के प्रधानाचार्य मौलाना तबरेज आलम तथा मौलाना तय्यब अली ने बताया कि रमजान मुबारक जैसे मुकद्दस महीने की आमद आमद है। इस महीने में हर मुस्लिम परिवार के लोग पांच वक्त की नमाज के साथ-साथ तरावीह की नमाज अदा करते हैं। हर मस्जिदों में नमाजियों की जनसंख्या बढ़ जाती है। तथा अपने अपने घरों के अंदर बीवी बच्चियां पूरे दिन कुरान शरीफ की तिलावत करती हैं। इस महीने का इंतजार हर एक मुसलमान को बेसब्री से रहता है। रमजान की पहली तारीख से दस दिन पहला अशरा होता है। जिसे रहमतों का आसरा कहा जाता है। रमजान महीने की शुरुआत होते ही मंगलवार की नमाज इंडो नेपाल बॉर्डर के सभी ग्राम सभाओं की मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ शुरू हो गई।मौलाना तबरेज ने मस्जिद में आए हुए सभी मुसलमानों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ नमाज अदा करने की अपील की। उन्होंने बताया कि मस्जिद में बिना मार्क्स लगाए प्रवेश न करें। रोजदार सुन्नत और नफील नमाज अपने घरों में अदा करें ऐसे में कोविड-19 का बचाव व सुरक्षा भी जरूरी है। मौलाना परवेज आलम ने बकायदा मस्जिद से अनाउंस कर लोगों को हिदायत दी कि वह मस्जिद में नमाज अदा करने आ रहे हैं। तो बिना मार्क्स एंट्री नहीं होने दी जाएगी। मस्जिद के इमाम मौलाना परवेज आलम ने जुमे की नमाज के दौरान ही अपनी तकरीर में इस महामारी का जिक्र करते हुए इससे बचने की पुरजोर गुजारिश की थी।
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