आलोक कुमार बर्नवाल
सन्तकबीरनगर। विकास खण्ड सेमरियावां क्षेत्र के दुधारा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र विभागीय जिम्मेदारों की उदासीनता एवं लापरवाही के चलते बदहाली का शिकार हो गया है। बुनियादी सुविधाओं का अभाव, चिकित्सकों की कमी, जर्जर भवन, परिसर में जलजमाव इस स्वास्थ्य केन्द्र की पहचान बन चुकी है। जानकारी व मांग के बाद भी संबंधित जिम्मेदार अनजान बने हुए हैं।
सेमरियावां ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र दुधारा का लोकार्पण 24 अक्तूबर 1998 को तत्कालीन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रमापति शास्त्री ने किया था। जिसका निर्माण कार्यदायी संस्था उप्र समाज कल्याण निगम लिमिटेड बस्ती के द्वारा लाखों की लागत से हुआ था। जिससे लोगों में आस जगी थी कि अब उन्हें दवा इलाज के लिए दर दर भटकने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा। लेकिन मरम्मत व देखरेख के अभाव में पीएचसी का भवन जर्जर हालत में पहुंच गया है। भवन की छत टपक रही है। जो कि स्वास्थ्यकर्मियों, मरीजों व उनके तीमारदारों की परेशानी का सबब बना हुआ है। आक्सीजन लेवल चेक करने के लिए पल्स आक्सीमीटर तक नहीं है। परिसर में जलजमाव, झाड़ झंखाड़ इसकी पहचान बन चुके हैं। समय समय पर होने वाले विभागीय निरीक्षण कागज कोरमपूर्ति तक सीमित होकर रह गये हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र दुधारा में प्रभारी चिकित्साधिकारी तक की तैनाती नहीं हो सकी है। फार्मासिस्ट के भरोसे यह स्वास्थ्य केन्द्र चलाया जा रहा है।
ग्रामीण अब्दुल कलाम, मुशीर अहमद, हाजी वसी अहमद खान, मुहम्मद परवेज अख्तर, अब्दुल कदीर, जयराज उर्फ गोलू, इस्तार अहमद, नूरुद्दीन, रशीद अहमद, मौलाना उबैदुर्रहमान मोज़ाहिरी, रईस अहमद, हाजी अमीरूद्दीन, राम सुरेश यादव, अब्दुस्सलाम, असरार अहमद उर्फ बबलू आदि ने शासन-प्रशासन से उत्पन्न समस्या के समाधान की मांग किये हैं।
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