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प्रतापगढ़:अधिवक्ताओं ने सदैव लड़ी है सत्ता एवं व्यवस्था की लड़ाई : प्रशांत अटल

 

अधिवक्ता परिषद का संपन्न हुआ 29 वां स्थापना दिवस समारोह

एस के शुक्ला

प्रतापगढ़। सत्ता एवं व्यवस्था की लड़ाई सदैव अधिवक्ताओं ने लड़ी है। अधिवक्ताओं ने ही दुनिया को बदला है, अधिवक्ताओं की सोच कुछ नया परिवर्तन करने की होनी चाहिए। यह बातें उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के सदस्य/ सचिव प्रशांत सिंह अटल ने जिला कलेक्ट्रेट में स्थित सेंटल बार के सभागार में अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश के 29 वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि कचहरी को टीन व छप्पर मुक्त कराना ही हमारा लक्ष्य है, अधिवक्ता को बैठने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए,जिस पर कार्य हो रहा है।


श्री अटल ने कहा कि अधिवक्ता को अपने मुकदमे की अच्छी से तैयारी कर करके न्यायालय में जाना चाहिए क्योंकि अधिवक्ता ही वादकारी को न्याय दिला सकता है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता को कलम का सिपाही होना चाहिए न कि बंदूक का। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर परिषद के प्रदेश महामंत्री शीतल जी एवं बार कॉउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के सचिव प्रशांत सिंह अटल तथा वरिष्ठ अधिवक्ता पंडित राधेश्याम शुक्ल ने सयुक्त रुप से किया। इस मौके पर कार्यक्रम में शामिल होने आए अतिथियों का स्वागत परिषद के अध्यक्ष महेश कुमार गुप्ता व परिषद के पदाधिकारियों ने पुष्प गुच्छ वह स्मृति चिन्ह देकर किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अधिवक्ता परिषद के प्रदेश महामंत्री शीतल जी ने संबोधित करते हुए अधिवक्ता परिषद के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अधिवक्ता परिषद आध्यात्म प्रेरित राष्ट्र भक्त अधिवक्ताओं का संगठन है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता परिषद का प्रत्येक सदस्य राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए कृत संकल्पित है। शीतल जी ने कहा कि न्याय प्रणाली में सुधार व्यक्तिगत कार्य में श्रेष्ठता स्वभाव में सरलता एवं राष्ट्र में उत्कर्ष के लिए बड़े पैमाने पर परिषद के सदस्य समर्पित रहते हैं। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता परिषद की स्थापना 23 जुलाई 1992 में ऐसे संगठन के रूप में हुई जो भारत के सभी राष्ट्र भक्त अधिवक्ताओं को एक सूत्र में बांध सके। परिषद का उद्देश्य आम एंव गरीब जनता के हक और हित की बात करनी है और अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को न्याय दिलाना। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पंडित राधेश्याम शुक्ल ने कहा कि अधिवक्ता से बढ़कर कोई नहीं है, यह ऐसा व्यवसाय है जहां पर मान सम्मान सारा कुछ मिलता है। किंतु जरूरत है अच्छे ढंग से पढ़कर वकालत करने की। उन्होंने अधिवक्ताओं से शार्टकट रास्ते से बचने की बात करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा किया।
अंत में परिषद के अध्यक्ष महेश गुप्ता ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया व संचालन महामंत्री मनोज सिंह ने किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से डीजीसी रेवेन्यू राघवेंद्र प्रताप सिंह, रवि सिंह,किरण बाला सिंह,सतीश दूबे,राजाराम सरोज, विनीत शुक्ल,आशीष मौर्या,शिव शंकर मिश्र, प्रशांत गुप्ता,अभिषेक शर्मा, गजाधर धुरिया,शिशिर शुक्ल,आलोक सिंह, पारिजात मिश्र, दीना नाथ मिश्र, रूप नारायण सरोज, प्रदीप पांडेय, शिवेश शुक्ल,अजय ओझा,मनोज गुप्ता,आरजू,अमरीश तिवारी,भरत लाल,अनुराग मिश्र,जे.पी.सिंह,संतोष दूवे,मनीष श्रीवास्तव, दीपक, आशीष, मृदुल,आदि अधिवक्तागण मौजूद रहे।

बार काउंसिल के सचिव को सौंपा ज्ञापन

अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश के स्थापना दिवस में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने पहुंचे बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश के सचिव प्रशांत सिंह अटल को जूनियर बार एसोसिएशन पुरातन के पूर्व महामंत्री विवेक त्रिपाठी व जूनियर बार एसोसिएशन के महामंत्री गिरीश मिश्र ने अधिवक्ताओं की समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा। पूर्व महामंत्री विवेक त्रिपाठी द्वारा अधिवक्ताओं व उनके परिजनों की  सुरक्षा तथा उत्पीड़न रोकने हेतु शासन स्तर से मामलों का त्वारित निस्तारण कराए जाने, युवा अधिवक्ताओं को प्रतिमाह 5 हजार रुपए दिलाए जाने एवं वाचनालय सहित सात सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा। वहीं बार के वर्तमान महामंत्री गिरीश मिश्रा ने ई लाइब्रेरी व अधिवक्ताओं के लिए पुस्तकों की मांग की।

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