वेद व्यास त्रिपाठी
प्रतापगढ़:किसानों को अपनी फसल का सही मूल्य मिले और उन्हें फसल बेचने के लिए दूसरे जिलों का चक्कर न लगाना पड़े।
इसके लिए शासन ने तहसील मुख्यालय पर मंडी खोले जाने का निर्णय लिया गया। वर्ष 2012 से शुरू हुआ मंडी निर्माण व संचालन का कार्य नौ वर्ष बाद भी पूरा नहीं हो सका है।
सपा शासनकाल 2012 में पट्टी में मंडी समिति बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था।
ढकवा मार्ग के कलियना पुर के निकट 6.497 हेक्टेयर में बनने की प्रक्रिया शुरू हुई। किसानों को मुआवजा देकर भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया।
उस समय निर्माण कार्य शुरू होते ही विधानसभा चुनाव आ गया। इसकी वजह से काम ठप हो गया। बीते दो साल से काम की शुरुआत तो हुई लेकिन इसकी प्रगति बेहद धीमी है।
अब तक बाउंड्री वाल व गेट के निर्माण भी नहीं हो सका है जबकि टीन शेड व व्यापारियों के लिए अन्य व्यवस्थाओं की शुरुआत ही अभी नहीं हो सकी है। मंडी समिति बनने में हो रही देरी का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
वे अपनी उपज को प्राइवेट मंडी में बेंच रहे हैं। कुछ किसान दूर की सरकारी मंडी तक किसी तरह उपज बेचने में सफल होते हैं।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ