ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। किसानों के बकाया 158 करोड़ का भुगतान बजाज चीनी मिल कुंदरखी से हर कीमत पर दिलाया जाएगा।
यदि सीधे तरीक़े से बात समझ में नहीं आएगी, तो किसानों को दूसरे तरीकों से भी समझाना आता है।
इसलिए मिल प्रशासन दिमाग दुरूस्त कर ले और होश में आ जाए।
उक्त बातें अवध केसरी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर नीरज सिंह ने गुरूवार को किसानों को संबोधित करते हुए कही।
गौरतलब है कि बजाज चीनी मिल कुंदरखी पिछले पेराई सत्र का किसानों का 158 करोड़ रूपये बकाया है।
भुगतान की मांग को लेकर 26 दिसम्बर को अवध केसरी सेना के बैनर तले किसानों द्वारा धरना-प्रदर्शन शुरू किया गया।
किसानों की मांग थी कि मिल प्रशासन उनका बकाया भुगतान करे। लेकिन किसानों की इस मांग को चीनी मिल प्रशासन ने सिरे से खारिज कर दिया, जिससे मजबूर होकर सैकड़ों की संख्या में किसान अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए।
वृहस्पतिवार को धरना-प्रदर्शन के पांचवें दिन भारी संख्या में किसानों का हुजूम उमड़ पड़ा और चीनी मिल प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
किसानों ने कहा कि-चीनी मिल नीलाम करो, गन्ने का भुगतान करो। हजारों की तादाद में धरना-प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पहुंचे किसानों को संबोधित करते हुए अवध केसरी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर नीरज सिंह ने कहा कि किसान शांतिपूर्वक धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इसलिए हमारे धैर्य की परीक्षा न ली जाय।
उन्होंने कहा कि हम बजाज मिल से भीख नहीं, बल्कि अपने गन्ने की कीमत मांग रहे हैं। यदि यहां से समस्या का हल नहीं हुआ तो किसान जिलाधिकारी कार्यालय की ओर कूच करेंगे और उनका घेराव कर बकाया भुगतान कराने की मांग की जाएगी।
नीरज सिंह ने कहा कि मैं किसानों की ओर से जिले के मालिक जिलाधिकारी को आमंत्रित करता हूं कि वे धरना स्थल पर आएं और किसानों की समस्याओं को सुनकर उसका समाधान कराएं, अन्यथा किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ जिला मुख्यालय पर कूच करने को बाध्य होंगे।
उन्होंने कहा कि बजाज ग्रुप की बलरामपुर जिले में स्थित इटई मैदा चीनी मिल को भी किसानों द्वारा ताला लगाकर बंद कर दिया जाएगा। इसलिए अभी चेत जाएं। दिमाग सही कर लें और हमारा बकाया 158 करोड़ रूपये का भुगतान कर दें, अन्यथा इनकी उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी।
किसानों का धैर्य जब जवाब देगा तो बजाज मिल प्रशासन की ईंट से ईंट बजा दी जाएगी।
ठाकुर नीरज सिंह ने कहा कि पिछले पांच दिनों से हजारों की संख्या में किसान आंदोलन की राह पर हैं। किसानों के इस धरना-प्रदर्शन को अब समाजवादी पार्टी, कांग्रेस व बहुजन समाज पार्टी समेत तमाम राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों एवं समाजसेवियों का समर्थन मिल चुका है लेकिन इन्हीं अन्नदाताओं के बल पर सांसद, विधायक, मंत्री बने लोगों को जैसे किसानों से कोई सरोकार ही नहीं है।
सत्तापक्ष का कोई भी नेता, सांसद, विधायक, मंत्री इस कड़ाके की ठंड में धरने पर बैठे किसानों की सुध लेने नहीं आया।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है और आने वाले विधानसभा चुनाव में इन्हें इसका जवाब देना होगा तथा खामियाजा भी भुगतान पड़ेगा।

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