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करनैलगंज:दूसरे धर्मों का सम्मान करते हुए अपने धर्म और समाज के लिए कुछ भी करने को सदैव तत्पर रहते है कन्हैयालाल वर्मा



रजनीश/ज्ञान प्रकाश

करनैलगंज। दूसरे धर्मों का सम्मान करते हुए अपने धर्म और समाज के लिए कुछ भी करने को सदैव तत्पर रहने वाले करनैलगंज के कन्हैयालाल वर्मा को यदि समाज का भी अपेक्षित सहयोग मिल जाये तो क्षेत्र के लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। 

      

 चट्टान सा हौसला, शेर जैसी हिम्मत, धर्म और समाज के लिए कुछ कर गुजरने की लालसा सब कुछ है नगर के कन्हैयालाल वर्मा के पास। 


यदि कुछ नहीं है तो वह है समाज का अपेक्षित सहयोग। भौतिकतावादी वर्तमान समय में जहां एक ओर हर व्यक्ति हर जगह केवल स्वयं का स्वार्थ तलाश रहा है और उसके पास न अपने धर्म के लिए समय है न समाज के लिए। 


वहीं ऐसे विरले लोग ही दिखाई पड़ते हैं जो धर्म और समाज की लड़ाई लड़ने में अपना दिन रात एक किये रहते हैं परन्तु यह एक दुखद पहलू है कि ऐसे लोगों को समाज का वह सहयोग नहीं मिल पाता जो उन्हें मिलना चाहिए और जिसके बल पर वे समाज के लिए लड़ाई लड़ सकें। 


ऐसा ही एक नाम है कन्हैयालाल वर्मा। वर्ष 2012 से लगातार वे नगर पालिका परिषद के सभासद हैं। वर्ष 2013 में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष बने फिर भाजपा में आये और वर्तमान समय में भाजपा के नगर महामंत्री तथा श्रीरामलीला कमेटी के महामंत्री हैं। 


हिन्दुत्ववादी विचारधारा के होते हुए भी वे दूसरे धर्म के त्यौहारों को मनाने में वे उस धर्म के लोगों के मध्य सक्रिय भूमिका अदा करते हैं। 


इसके साथ ही नगर की किसी भी समस्या को सक्रिय रूप से उठाने में इनका कोई सानी नहीं है। चाहे मोहल्लों में जलभराव की समस्या हो, सड़क या नाला निर्माण की बात हो, वार्डों में फैली गंदगी हो, तालाबों पर अतिक्रमण का मामला हो या अन्य कोई भी समस्या हो। 


उसे पुरजोर तरीके से उठाकर अंजाम तक पहुंचाने में अपना जी जान लगा देते हैं। इनके इस कार्य से आम जनता खुश तो रहती है लेकिन लोग अपने निजी स्वार्थों और अन्य लोगों से निजी संबंधों के कारण इनका खुलकर साथ नहीं दे पाते हैं। 


फिर भी कन्हैयालाल वर्मा इन सबकी चिंता किये बगैर अपने काम में जुटे रहते हैं। उनका ध्येय वाक्य है - "चरैवेति चरैवेति चरैवेति....यदि न देता साथ कोई तो अकेला ही चला चल"। 


आज इस क्षेत्र को ऐसे ही कर्मवीर की आवश्यकता है जो सबको साथ लेकर चल सके और सबके सुख दुख में सहभागी रहे। आम जनता को भी चाहिए कि उनकी भावनाओं को समझें और नगर के हित में उनके कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करें।

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