Type Here to Get Search Results !

Action Movies

Bottom Ad

शख्सियत :किन्नर भोज का आयोजन कर गरिमा बनी मिशाल, स्वागत सम्मान से छलक उठी आंखें

(एस. के.शुक्ला)

लखनऊ। जिनकी एक दुआ इंसान को राजा बना देती है,तो एक बद्दुआ भीखारी भी बना देती है।


ऐसे अर्ध नर और अर्ध नारी स्वरूप किन्नर समाज के लिए कार्य कर रही 25 वर्षीय सूबे की राजधानी की गरीमा सिंह शायद एक ऐसी शख्सियत होगी जो किन्नर समाज को सम्मान देने के लिए गत दिनों किन्नर भोज का आयोजन कर मिशाल बनी है।

वैसे तो ये किन्नर पूरी दुनिया में पाए जाते है, लेकिन 2014 में भारत ने किन्नर समाज को  एक तीसरे लिंग के रूप में स्थान दिया। 


मूल रूप से उन्नाव जिले की निवासनी गरिमा सिंह वर्तमान में सूबे की राजधानी लखनऊ में रहकर सामाजिक क्षेत्रों में बढ़-चढ़कर सहभागिता निभा रही हैं। 


लॉकडाउन में भी किन्नरो की काफी मदद कर चर्चा में आईं गरिमा बताती है कि उसे पहले किन्नरों से भय लगता था किन्तु जब वह एक किन्नर से मिल कर उनकी जिंदगी पर परिचर्चा किया तो, किन्नर समाज के लिए उसकी सोच बदल गई। 


फिर क्या था वह किन्नर समाज के मदद हेतु आगे बढ़ निकली। 2021 अक्टूबर नवरात्रि में उसे एक भोज करने का मन बना तो उसने किन्नरों से बात की और कन्या भोज के दिन किन्नर भोज का आयोजन कर चर्चा में बन गई।


इस बार बीते नवरात्रि में भी विधि- विधान से किन्नर भोज का आयोजन किया।सभी को भोजन कराने के साथ दक्षिणा देकर आर्शीवाद प्राप्त किया।


 वैसे तो अभी तक लोगों के घरों में बेटे के जन्म पर किन्नर का भोज कई जगहों पर किए जाने की जानकारी मिलती थी किन्तु इस बार सूबे की राजधानी में नवरात्रि पर्व पर किन्नर समाज में भोज का आयोजन कर गरिमा मिशाल बनी हुई है।


भोज पर मिलें अपार अपनेपन और सम्मान से आंखें छलक उठी। गरिमा बताती है कि यह किन्नर समाज प्रेम और सम्मान का भूखा होता है,क्योंकि इनको बचपन में मां बाप का प्रेम नही मिलता है और लोग उन्हें एक अलग नजर से देखा करते हैं। 


गरिमा कहती हैं कि वैसे समाज में किन्नरों का अस्तित्व, न केवल कई लिंगों को स्वीकार करने के लिए प्रणाली को चुनौती देता है, बल्कि इस विचार को स्वीकार करने के लिए भी, मिथक और वास्तविकता में,कि किसी व्यक्ति के जीवनकाल में लिंग और लिंग को बदला जा सकता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Below Post Ad

Comedy Movies

5/vgrid/खबरे