Type Here to Get Search Results !

Action Movies

Bottom Ad

हाईटेक दौर में मौसम विभाग का पूर्वानुमान फेल: कभी सूखे से निपटने के लिए इन टोटकों का होता था खेल



राकेश श्रीवास्तव                

मनकापुर (गोंडा )आषाढ़ मास बीतने को है आसमान साफ ,धरती प्यासी और किसान चिंतित हैं वजह साफ है जुलाई माह की प्रथम पखवाड़े तक मानसून का दूर-दूर तक पता नहीं है । 



 धान की रोपाई ना होने से किसान परिवार पालन को लेकर  चिंतित हो उठे हैं। ऐसी स्थिति इससे पहले के वर्षो में भी आती थी, तब लोग टोने टोटके का सहारा लेते थे।मान्यता है कि वे टोने टोटके सफल भी होते थे।


 बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के पिछड़े जनपदों में शुमार गोंडा जिले में जुलाई माह के प्रथम पखवाड़े तक छुटपुट बारिश को छोड़कर अब तक बरसात नहीं हुई है ।


सूखे की आशंका से किसान चिंतित हो उठे हैं आषाढ़ मास बीतने को है आसमान से आग  बरस रही है गगन के सीने पर धमा चौकड़ी मचाने वाले मेघ नदारद हैं ।


उत्तर प्रदेश से मानसून क्या रुठा किसानों की जीविका को लेकर सवाल उठ खड़े हो गये हैं। जिन क्षेत्रों में अब तक बारिश नहीं हुई है धान की रोपाई नहीं शुरू हो सकी है मनकापुर इलाके में भी पिछले दिनों मामूली बारिश हुई थी । 


जिससे किसान खेतों की जुताई कर सके थे । खेतों में धान की नर्सरी  सूख रही है जल संसाधन से मजबूत कुछ किसान धान की नर्सरी की खेतों में रोपाई कर रहे हैं । अधिकांश किसान भगवान भरोसे हैं। 


हालांकि इलाके से सबसे बड़ी सरजू नहर परियोजना की नहरें धरती का सीना चीर रही हैं फिर भी  तमाम माइनर सूखे पड़े हैं जिससे किसानों की खेती पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। ऐसे में किसान चिंतित हो उठे हैं। 


आखिर उनके धान की रोपाई कैसे हो? डीजल तेल की महंगाई, बिजली की बंपर कटौती किसानों की कमर पहले ही तोड़ चुकी है ऐसे में किसान जाए तो कहां जाए। 


वह रात- दिन आसमान की ओर टकटकी लगाए आज भी मानसून के आने का इंतजार कर  रहे है । 


मनकापुर इलाके के पंडितपुर गांव निवासी किसान राम बहोर पांडे बताते हैं कि आषाढ़ मास लगभग बीत चुका है और धरती प्यासी है खेतों में धूल उड़ रही है ।


ऐसे में यदि मानसून देर सवेर आता भी है और धान की रोपाई किसान करते हैं तो धान की फसल के उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा ।



 वैसे आमतौर पर श्रावण मास की पंचमी तिथि के आसपास तक किसान धान की रोपाई पूरी कर लेते थे और पंचमी तक बहन बेटियों को घर लाकर नाग पंचमी पर्व पर हरियाली और खुशहाली दोनों मनाते थे । 


सूखे से चिंतित किसान इस बार अपनी बेटियों के साथ हरियाली और खुशहाली का पर्व नाग पंचमी किस तरह मनाएंगे या भविष्य बताएगा । 


क्या थे वे टोने टोटके के खेल

 बरसात न होने की दशा में गांव में बच्चे मेंढक बांधकर काल कलौटी खेलते थे,इस दौरान गांव के बच्चे सामूहिक रूप से इकट्ठा होकर प्रत्येक घर जाते थे जहां जमीन पर लोटते थे तो गृह स्वामी उनके ऊपर पानी फेंक कर नहला दिया करता था। और इंद्र देव की कृपा दृष्टि हो जाती थी।

 

पौराणिक मान्यताओ के अनुसार

इससे पूर्व पौराणिक मान्यताओ के अनुसार जब राजा जनक के राज्य में सूखा पड़ा था तब राजा जनक ने रानी के साथ मिलकर  हल चलाया था,इस दौरान माता सीता देवी की उत्पति तो हुई ही मेघ ने बारिश भी की थी।


बाबा करोहा नाथ के प्रसन्न होने पर होती थी बारिश

मनकापुर क्षेत्र में एक धार्मिक विधा थी कि जब बारिश नही होती थे तो राजघराने के अगुवाई में मनकापुर के मछली बाजार स्थित बाबा करोहा नाथ का क्षेत्र वासियों द्वारा शिव जी के अरघ को बंद कर दुग्धाभिषेक किया जाता था और देवादिदेव  महादेव के कृपा से घनघोर बरसात होती थी। और लोग सुखी संपन्न हो जाते थे ।



मौसम विभाग की भविष्यवाणी से किसानों का उठा भरोसा

 हाईटेक टेक्नोलॉजी के इस दौर में भी क्षेत्रीय मौसम की भविष्यवाणी करने वाले गूगल एप से  भी जिले के किसान निराश हुए है जिस भी दिन  गूगल ने बारिश की भविष्यवाणी की थी किसानों को निराशा ही हाथ लगी है  गूगल सर्च करने पर किसानों को आज भी कहीं 80% कहीं 90 परसेंट कहीं 40 पर्सेंट बारिश दिख जाती है लेकिन वास्तव में 10 पर्सेंट बारिश  नहीं हो रही है जिससे किसान अब गूगल पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं।

 


क्या कहते है ज्योतिषाचार्य

पंडित रंग नाथ त्रिपाठी बताते हैं कि पंचांग के अनुसार उत्तर प्रदेश में आषाढ़  मास में कहीं-कहीं वर्षा कहीं अतिवृष्टि तो कहीं-कहीं अनावृष्टि होना पाया जाता लेकिन अब पंचांग में क्षेत्र विशेष की गणना नहीं हो पा रही है जिससे जिले के किसान पंचांग पर भी भरोसा नहीं कर पा रहे हैं ।

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Below Post Ad

Comedy Movies

5/vgrid/खबरे