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आईटीआई संचार विहार के अतिथि गृह में आयोजित हुई काव्य - सन्ध्या



राकेश श्रीवास्तव

 मनकापुर गोंडा: 2 जुलाई 2022 दिन शनिवार को आईटीआई लिमिटेड हिन्दी राजभाषा क्रिवांनयन समिति के सचिव अशोक वर्मा एवं हिन्दी राजभाषा समिति के सदस्य एवं कवि राम लखन वर्मा के संयोजन में आईटीआई संचार विहार मनकापुर के अतिथि गृह में शाम को एक काव्य-सन्ध्या आयोजित की गयी।


काव्य-सन्ध्या के मुख्य अतिथि मंगल भवन मनकापुर से अतुल कुमार सिंह "अतुल" भईया, विशिष्ट अतिथि इकाई प्रमुख ओमप्रकाश, मानव संसाधन प्रमुख संजीब अरोड़ा, पूर्व मानव संसाधन प्रमुख वाई एस चौहान, आईटीआई के मुख्यचिकित्साधिकारी यू के विशेन एवं सभी उपस्थित कवियों ने सर्वप्रथम माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष द्विप प्रज्ज्वलित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

कवि पं.राम हौसिला शर्मा की अध्यक्षता एवं कवि ईश्वर चन्द्र मेंहदावली के संचालन में हुई इस काव्य-सन्ध्या की शुरूआत साहित्य भूषण से सम्मानित कवि डा सतीश आर्य द्वारा माँ वाणी की वन्दना कर की गई। 


काव्य-सन्ध्या में मुख्य अतिथि के रूप में अतुल कुमार सिंह "अतुल" भईया ने पढ़ा- तुम चिरंक खत्म प्रियतम, मैं निरन्तर साधक हूँ। 


कवि एवं मीडिया प्रभारी राम लखन वर्मा ने जीवन का एहसास कराते हुए पढ़ा- इतना है विश्वास हमारा यह काला बादल छंट जायेगा। 


सफर बहुत है लंबा लेकिन संग तुम्हारे कट जायेगा। काव्य- सन्ध्या की अध्यक्षता कर रहे कवि राम हौसिला शर्मा ने पढ़ा- गीत कोई ऐसा गाओ गा सके संसार जो। 


नाव कोई ऐसी लाओ करे नदिया पार जो। कवि उमाकांत कुशवाहा ने पढा- दरवाजे पर नीम का, वृक्ष लगाओ एक। शुद्व वायु के साथ ही , औषधि मिले अनेक। 


सुगितिका के रूप में जाने माने कवि  बृजराज श्रीमाली ने पढ़ा- कर्मचारी हैं बड़ा-क्रेता सजी बाजार का। जेब कतरे शासकों की नीतियों से दूर रह। 


काव्य सन्ध्या का संचालन कर रहे कवि ईश्वर चन्द्र मेंहदावली ने पढ़ा- जीवन साथी बिना अरे यह जीवन स्वंय अधूरा है। कोई मन का मीत मिले तो समझो जीवन पूरा है।


डॉ यू के विशेन ने पढ़ा- ठोकरे खा मुस्कराना जिंदगी है, मुस्करा गम भुलाना जिंदगी है। मनकापुर से पधारे कवि राम कुमार नारद ने अपनी रचना पढ़ते हुए कहा- इस विषैले वक्त में बेमौत मानव मर रहा, आदमी अपने सगे से भी यहां है डर रहा। 


मुकेश कुमार कनौजिया ने पढ़ा- गुर्राने का सीधा सवाल अर्थ बगावत है और बगावत महाजन की रखैल नही। जिसे जो चाहे नाम दे दो रंग-दे दे दो न ही हथेली का युआ जिसे मुंह खोलो गप्प खा लो। 


कवियत्री श्रीमती सन्ध्या पांडेय ने पढ़ा- हर खुशी है लोगों के दामन में, पर एक हंसी के लिए वक्त नही। कार्यक्रम को इकाई प्रमुख ओमप्रकाश, मानव संसाधन प्रमुख संजीब अरोड़ा, पूर्व H R प्रमुख वाई इस चौहान ने सम्बोधित किया और उपस्थित सभी कवियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान करते हुए सम्मानित किया। 


अंत मे आईटीआई राजभाषा हिन्दी क्रीवांनयन समिति के सचिव अशोक वर्मा ने उपस्थित सभी कवियों एवं गणमान्य अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भविष्य में और बृहद रूप में इसका आयोजन किया जाएगा। 


इस अवसर पर कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष गुरूबक्स, राम सजन, सुरक्षाधिकारी मान सिंह, विवेकानंद इण्टर कालेज मनकापुर के प्रधानाचार्य सर्वेश भट्ट के अलावा काव्य - सन्ध्या में दर्जनों की संख्या में उपस्थित श्रोताओं ने मुक्तक, छंदों, गीतों, एवं गजलों का भरपूर आनंद लिया।

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