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प्रतापगढ़ में धूम-धाम से मनायी गयी स्वतंत्रता संग्राम के नायक मंगल पाण्डेय की 194वें जयन्ती



वेदव्यास त्रिपाठी

प्रतापगढ़। जिलाधिकारी डा0 नितिन बंसल के निर्देश के क्रम में जनपद में आज जिला सैनिक कल्याण कार्यालय परिसर के शहीद स्थल पर स्वतंत्रता संग्राम के नायक मंगल पाण्डेय की 194वें जयन्ती धूम-धाम से मनायी गयी।


इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) त्रिभुवन विश्वकर्मा, जिला सूचना अधिकारी विजय कुमार, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल आर0के0 सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम नायक मंगल पाण्डेय के चित्र पर मार्ल्यापण कर श्रद्धासुमन अर्पित किये।

पुलिस बैण्ड द्वारा राष्ट्रधुन की मनमोहक प्रस्तुति की गयी। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) ने कहा सन् 19 जुलाई 1827 को मंगल पाण्डेय जी का जन्म बलिया में हुआ था और सन् 1849 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के सेना में शामिल हुये थे।

मंगल पाण्डेय ब्रिटिश सेना में एक सिपाही के तौर पर भर्ती किये गये थे। उस समय ब्रिटिश अपनी सेना के लिये नई-नई रायफल बना रहे थे। 


इस रायफल के कारण लोगों के पास एक अफवाह फैल गई थी की बंदूक के कारतूस को चिकना करने के लिये यह लोग गाय और सुअर की चर्बी को प्रयोग करते है, मंगल पाण्डेय जी को यह बात पता नही थी, उन्होने अपने सीनियर अधिकारी से इस बात पर चर्चा की लेकिन उन्होने इसका कोई भी जवाब नही दिया। 


कुछ दिनो बाद मंगल पाण्डेय कारतूस की फैक्ट्री में जांच करने के लिये चले गये, वहां जाकर पता चला कि यह बात सत्य है की कारतूस को बनाने में गाय और सूअर की चर्बी का प्रयोग हुआ है। 


सन् 1857 में कारतूस में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल से हिन्दुस्तानियों में रोष बढ़ने लगा, 29 मार्च 1857 को मंगल पाण्डेय ने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाते हुये विद्रोह कर दिया। 


अपर जिलाधिकारी ने कहा कि महान मंगल पाण्डेय साहस और दृढ़ता के पर्याय है, उन्होने इतिहास के बेहद महत्वपूर्ण समय में देशभक्ति की लौ प्रज्वलित की। 


उनके सर्वोच्च बलिदान ने पूरे देश को झकझोर दिया और आजादी की मजबूत नीव पड़ी।इस अवसर पर जिला सूचना अधिकारी विजय कुमार ने कहा कि भारत के इतिहास में मंगल पाण्डेय जी का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। 


मंगल पाण्डेय के द्वारा लगाये गये विरोध की चिंगारी देखते ही देखते अंग्रेजों की जड़े भारत में कमजोर हो गई थी। यह भारत का पहला ऐसा स्वतंत्रता संग्राम में था जिन्होनें ब्रिटिश कानून का खुलकर विरोध किया था। 


स्वतंत्रता संग्राम में मंगल पाण्डेय जी की महत्वपूर्ण भूमिक होने के कारण भारत सरकार ने इनके नाम पर एक डाक टिकट 1984 में जारी किया था। 


इस दौरान जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल आर0के0 सिंह सहित गौरवशाली पूर्व सैनिक संगठन के पदाधिकारी एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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